देहरादून – सरकार की दरियादिली के चलते उत्तराखंड परिवहन निगम की सौगातों की झोली जब से खुली है तब से खुली की खुली है। हालांकि परिवहन निगम की अपनी हकीकत ये है कि, उत्तराखंड परिवहन निगम करोड़ो के घाटे में जी रहा है। मासिक पास वाले मुसाफिर हों या आम मुसाफिर सबके सब परिवहन निगम के संचालन से परेशान है। जबकि प्रबंधन का रोना स्टाफ, वेतन और रिटायर्ड कर्मचारियों के भुगतान समेत वर्कशॉप को लेकर है।
आलम ये है कि, पिछली सरकार के दौरान खरीदी गई बसों के संचालन के लिए परिवहन महकमे के पास स्टाफ नहीं है। इन सबके बीच राज्य के मुसाफिरों के लिए एक खुशखबरी है कि, सरकार का ड्रीम कर GST से राज्य परिवहन निगम की बसों में किराया सस्ता हो जाएगा। किराए में एक फीसदी की कमी आई है।
अब तक 6 प्रतिशत की दर से वसूलेजाने वाले कर को जीएसटी के बाद 5 प्रतिशत की दर से लिया जाएगा। हलांकि कम किराए की सहूलियत केवल एसी और वॉल्वो में सफर करने वाले मुसाफिरों को ही मिलेगी। सामान्य बस के आम मुसाफिरों और मासिक पास वालों को कोई राहत नहीं, वो अब भी चौक-चौराहों पर हाथ देंगे और परिवहन निगम की बस बिना रुके हुए उन्हें चिढ़ाते हुए निकल जाएगी। बिना ये सोचे हुए कि इसमें कई मुसाफिर अस्पताल जाने वाले होंगे, कई प्राइवेट संस्थानों में नौकरी करते होंगे और कई ऐसे भी होंगे जो परीक्षा के लिए सफर पर निकले होंगे।