उत्तरकाशी : उत्तरकाशी के प्रखंड मोरी में दर्जनों गावं को लोग अपनी जिंदगी दांव पर लगाकर उफनती नाली को पार करने को मजबूर है. दर्जनों गांव के लोगों की जिंदगी ट्रॉली या एक रस्सी के सहारे झूल रही है। ट्रॉली के बाद ग्रामीणों को गाँव तक पहुँचने के लिए 8 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।
हम बात कर रहे हैं उत्तरकाशी मोरी प्रखंड के सांकरी -तालुका वन जीप मार्ग की जहां 4 गांवों के लोग जान हथेली पर रखकर उफनती नाली को पार कर रहे हैं। स्कूल के बच्चों को स्कूल जाने में दिक्कत हो रही है. सेब कास्तकारों को भारी नुकसान हो रहा है.
रास्ते का संपर्क टूटने से सेब कास्तकारों को भारी नुकसान
मिली जानकारी के अनुसार आम रास्ता पिछले 5 दिनों से बन्द है. लेकिन इसकी सुध किसी ने नहीं ली जिस कारण लोग जान जोखिम में डाल रहे हैं. ओसला, गंगाड, पंवानी, ढाटमीर और सिर्गा के ग्रामीणों का शेष दुनिया से संपर्क टूटा है। रास्ते का संपर्क टूटने से सेब कास्तकारों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. कास्तकारों का सेब सड़ रहा है.
बता दें कि उत्तरकाशी के सुदूरवर्ती मोरी प्रखंड के नुराणु गाँव के ग्रामीण 2013 की आपदा के दंश आज भी झेल रहे है। गाँव के ग्रामीण जब गांव से सात किलोमीटर का सफर पैदल तय कर के रूपिन नदी पार करने पहुँचते है।
तो ग्रामीणों की समस्या दोगुनी हो जाती है। जिला प्रसासन ने आपदा के समय ट्रॉली खींचने के लिए मैन पवार की बात कही थी ग्रामीण एक दूसरे की मदद खुद करते दिखे न तो सुरक्षा के कोइ इतजाम नहीं हैं। ग्रामीण महिलाएं ग्रामीण बालक बालिकाओं का संघर्ष देखने लायक है मोरी ब्लॉक के सुदूरवर्ती नुराणु गांव के 98 परिवार छह साल बाद भी आपदा का दंश झेलने को मजबूर हैं। बरसात के समय ये परेशानी ग्रामीणों की ओर बढ़ जाती है। नीचे उफनती नदी ऊपर ट्रॉली और राशियों का सहारा हर रोज ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ाती है।ग्रामीणों को आज भी रूपीन नदी पार करने के लिए ट्रॉली के सहारे आवाजाही करनी पड़ रही है।
ऐसे में ग्रामीणों की आवाजाही व रोजमर्रा के सामान ढोने को लोनिवि की ट्रॉली ही एकमात्र सहारा रह जाती है। भारी सामान को गांव से लाने-ले जाने में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। नदी पर स्थायी पुलिया निर्माण के लिए कई बार शासन-प्रशासन को अवगत कराया जा चुका है।