उत्तरकाशी (सुनील मौर्य)- जिला पंचायत अध्यक्ष जसोदा राणा ने सीडीओ उत्तरकाशी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी की जिला पंचायत अध्यक्षा ने अपने ही एक पंचायत सदस्य दीपक बिजल्वाण पर भी ब्लेकमेलिंग के आरोप जड़े। आरोप बाकायदा प्रेस कांन्फ्रेंस कर के लगाए गए हैं।
उत्तरकाशी की जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने ही जिला पंचायत सदस्य दीपक बिजल्वाण पर भी साजिश में शामिल होकर ब्लैकमेलिंग का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी। पंचायत अध्य्क्ष ने इसके लिए कुछ ऑडियो वीडियो और कुछ दस्तावेज मीडिया में जारी किए हैं। जिला पंचायत अध्यक्षा ने जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी पर संगीन आरोप लगाते हुए कहा है कि एक ही दिन में आईएएस अधिकारी ने 660 इस्टीमेट मंजूर किए और उनके लिए करोड़ो के भुगतान का अग्रिम चैक भी तैयार किया जबकि ये नियम विरूद्ध है। इतना ही नहीं कहा गया कि अधिकारी ने काम करने की जिम्मेदारी जिला पंचायत के बजाए सिंचाई विभाग को दी।
दरअसल जिला पंचायत उत्तरकाशी के कर्मचारी विगत आठ दिनों से हड़ताल पर चल रहे थे। हड़ताल की वजह थी कि नियम से हटकर कार्य करने का कर्मचारियों पर दबाव बनाया जा रहा था। साथ ही विभागीय कर्मचारियों को दरकिनार कर सिंचाई विभाग अवस्थापना खंड को एक करोड़ 94 लाख 67 हजार का अग्रिम चेक तैयार किया गया है।
पत्रकार वार्ता में अध्यक्ष जिला पंचायत ने पूरे आरोपों का ठीकरा अपर मुख्य अधिकारी का प्रभार देख रहे सीडीओ विनीत कुमार और जिला पंचायत सदस्य दीपक बिजल्वाण पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि मिलीभगत कर एक ही दिन में बिना जेई के 666 एस्टीमेट बनाकर अग्रिम के रूप में करोड़ों रुपए अवस्थापना खंड सिंचाई विभाग को देने के लिए दबाव बनाया गया है, इसलिए जिला पंचायत के मुलाजिमों ने हड़ताल की।
अध्यक्ष जशोदा राणा ने आरोप लगाया कि जिस विभाग के अभियंता को करोड़ों का चैक देने की तैयारी की गई थी वह एक भी दिन जिला पंचायत में नहीं आया और इन सबमें जिला पंचायत अध्यक्ष की कोई अनुमति नहीं ली गयी।
उधर सीडीओ विनीत कुमार, जो अपर मुख्य अधिकारी का भी प्रभार देख रहे हैं,उनकी माने तो उन्होने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि उक्त पद पर उन्होने 4 जुलाई को ज्वाइन किया था। जबकि इससे पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष जारी काम दूसरे विभाग से करवाने में दिलचस्पी दिखा रही थी और इसकी फाइल गतिमान थी।
सीडीओ ने जिला पंचायत अध्यक्ष के 29 जुलाई के पत्र का हवाला भी दिया है, जिसमें अपर मुख्य अधिकारी से विभागीय सहायक अभियंता और कनिष्ठ अभियंता के न होने के चलते अन्य विभागों को काम जारी करने के लिए कहा गया है।
इतना ही नहीं अधिकारी ने बताया कि उन पर 50 प्रतिशत धन अग्रिम देने का दबाव जिला पंचायत अध्यक्ष ने बनाया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया । उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता गुनादत्त शर्मा को जिला पंचायत के सहायक अभियंता का अतिरिक्त प्रभार देते हुए कार्य शुरू करने के लिए अग्रिम धन स्वीकृत किया था।
वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा ने 29 जुलाई के अपने पत्र पर कहा गया कि यह पत्र उन्होने लिखा जरूर था लेकिन अपर मुख्य अधिकारी को भेजा ही नहीं गया था, क्योंकि 1 अगस्त को विभाग में कनिष्ठ अभियंता विरेन्द्र गुसांई ने ज्वाइन कर लिया था। अब अपर मुख्य अधिकारी तक पत्र कैसे पहुंचा, इस पर उन्होंने जांच की बात कही है।
ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि किस की दलील सच है, जिला पंचायत अध्यक्ष जशोदा राणा की या फिर आईएएस अधिकारी की, ये जांच का विषय है। आखिर कौन दबाव बना रहा है और इस दबाव के पीछे असली खेल क्या है? किसे फायदा होने वाला है या किसके नफा मारा गया है?