देहरादून- आप मानो या न मानों लेकिन सूबे के सियासी गलियारे में खबर है कि अबकी दफा “उत्तराखंड का सीएम बाया गुजरात आएगा।” चौकिएगा नहीं सूत्रों की माने तो इस बार कुछ ऐसा ही होने वाला है।
सूत्रों की इस खबर पर इस बात से भी मोहर लग रही है कि त्रिवेंद्र रावत के साथ सतपाल महाराज का नाम जिस तेजी से उभरा उससे कही ज्यादा तेजी और अचानक से पिथौरागढ़ जीतने वाले प्रकाश पंत का नाम उभरा और अब तक बरकरार है।
सूत्रों के मुताबिक प्रकाश पंत के भाई गुजरात में एक बड़े कारोबारी हैं। जिनके भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से हाथ मिलाने वाले नही बल्कि गले मिलने वाले रिश्ते हैं।
दिलचस्प बात ये है कि प्रकाश पंत सुलझे नेता हैं बौद्धिक तबके और कर्मचारी यूनियनों को प्रभावित करते हैं। बावजूद इसके प्रकाश पंत ने कभी भी अपने आपको सियासी फलक पर बड़ा क्षत्रप जताने की कोशिश नहीं की, और न ही किसी खास गुट के प्रति अपनी निष्ठांए जताई। ऐसे में प्रकाश पंत का नाम अचानक से सीएम पद के लिए उछल जाना हर किसी को अचंभित कर रहा था।
बहरहाल अब माना जा रहा है कि गुजरात में कारोंबार कर रहे पंत के भाई की पार्टी अध्यक्ष से दोस्ती उनकी पैरोकारी कर रही है। हालांकि होगा क्या ये तो वक्त ही बताएगा । लेकिन इतना तय है कि उत्तराखंड का सीएम बाया गुजरात ही आएगा।
अमित शाह के ज्यादा करीब प्रकाश पंत के भाई हैं या त्रिवेंद्र रावत इसका खुलासा भी जल्द हो जाएगा। वैसे भी त्रिवेंद्र रावत ने आज कहा भी है सीएम कौन बनेगा इसके लिए मीडिया को कुछ प्रतीक्षा करनी होगी।
बावजूद इसके रावत और महाराज समर्थकों ने इस शेर के बीच भी आस नहीं छोड़ी है, कि,
” कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से
अजीब मिज़ाज़ का शहर है, जरा फासले से मिला करो।”