देहरादून : उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखडं राज्य के हितों पर उत्तर प्रदेश की अलग-अलग सरकारों ने कैंची चलाने का काम किया हो लेकिन पहली बार उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद उत्तराखंड के हितों को लेकर सीएम त्रिवेंद्र रावत पहल कर रहे हैं जिस पर यूपी सीएम योगी त्रिवेंद्र रावत की पहल पर अपनी मुहर लगा रहे हैं…जिसका फायदा उत्तराखंड को ही हो रहा है।
यूपी के मुख्यमंत्री भी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं
खास बात ये है कि यूपी के मुख्यमंत्री भी मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं, जिसका फायदा उत्तराखंड को भी मिल रहा है, पहले परिसम्पतियों के बंटवारे को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड को देने को लेकर हामी भरी और अब कई हजार करोड़ जो यूपी को उत्तराखंड को लौटाने है उसे उत्तराखंड को देने के लिए योगी ने आश्वस्त कर दिया है।
पेंशन का बकाया मामला हुआ हल
9 नवम्बर 2000 को उत्तराखंड राज्य का गठन हुआ था, जिसमें बंटवारे के तहत समझौता हुआ था कि उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आने के बाद जिन पेंशन कर्मियों को उत्तर प्रदेश पेंशन दे रहा था, उत्तराखंड बनने के बाद भी उत्तर प्रदेश उन पेंशन धारियों को पेंशन अदा करता रहेगा…लेकिन 2011 में उत्तर प्रदेश ने पेंशन का बजट उत्तराखंड को देना बंद कर दिया था…जिस पर उत्तराखंड ने समय-समय पर आपत्ति भी दर्ज की ,लेकिन उत्तर प्रदेश ने पेंशन का बजट देना मुमकिन नहीं समझा.
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पेंशन देने का प्रस्ताव रखा जिस पर सीएम योगी ने हामी भर दी
उत्तराखंड और यूपी में भाजपा की सरकार आने के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने पेंशन देने का प्रस्ताव रखा जिस पर सीएम योगी ने हामी भर दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि उत्तराखंड के लिए ये फैसला महत्वपूर्ण, जिसके तहत उत्तराखंड को 5 हजार करोड़ रूपये बकाया पेंशन की धनराशि मिलेगी साथ ही हर साल यूपी उत्तराखंड को 700 सौ करोड़ रूपये का बजट पेंशन के रूप में उत्तराखंड को देगा।