रुड़की : तीन कृषि कानूनों को लेकर किसान 2 महीने से दिल्ली में आंदोलन कर रहे हैं. इस आंदोलन में महिला बुजुर्ग भी अपना अहम योगदान दे रही हैं. किसानों के खेती की जिम्मेदारी महिलाओं व बच्चों ने उठा ली है. महिलाएं खुद परिवार और खेत की बागडोर संभाल कर किसानों का हौसला बढ़ा रही हैं. उत्तराखंड के किसान भी दिल्ली आंदोलन में बैठे हुए हैं.
ऐसी स्थिति में खेती के कार्य उनके घरों की महिलाएं और बच्चे खेती में जुटे हुए हैं. किसानों के आंदोलन के बाद उनके खेतों की देखभाल उनकी घर के बच्चे व महिलाएं करती नजर आई. महिलाओं और बच्चों का जोश देखकर सभी दंग रह गए. किसानों की महिला और बच्चों ने साफतौर पर कह दिया है कि जब तक बिल वापसी नहीं तब तक घर वापसी नहीं.
पशुओं के चारे से लेकर खेतों की सिंचाई करने सारा काम महिलायें और बच्चे कर रहे हैं. सालभर की मेहनत के बाद खेतो में खड़ी गन्ने की फसल महिलायें व बच्चे ही काटते नजर आए. उत्तराखंड में गन्ने की फसल से ही किसानों का जीवन व्यापन होता है, लेकिन कृषि कानूनों के विरोध में किसान अपनी फसलों को छोड़कर दिल्ली धरने पर बैठे हुए हैं. किसान महिलाओं ने उनकी हिम्मत को टूटने नहीं दिया।