उत्तराखंड में अधिकारियों की मनमानी किसी से छुपी नहीं है। हालांकि जब मंत्रियों के साथ अधिकारियों के जब जब विवाद हुए हैं तो अधिकारी भी मंत्रियों को नीचा दिखाने से बाज नहीं आते हैं। यही कुछ इन दिनों उत्तराखंड के महिला एवं बाल विकास विभाग में देखने को मिल रहा है जो बिना विभागीय सचिव के चल रहा है।उत्तराखंड का महिला एवं बाल विकास विभाग दो हफ्तों से ज्यादा समय से भी बिना विभागीय सचिव के चल रहा है जिसका असर विभागीय कामकाज ऊपर सीधे तौर से पड़ रहा है।
मनीषा पंवार ने नहीं संभाली विभाग की जिम्मेदारी
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री रेखा आर्य के साथ विभाग के निदेशक और विभाग के सचिव के बीच विवाद के बाद जहां विभागीय सचिव से सौजन्य को हटाकर मनीषा पंवार को दिया गया था तो वहीं मनीषा पंवार के द्वारा अभी भी विभाग की जिम्मेदारी नहीं संभाली गई है जिसका असर कामकाज पर पड़ रहा है। राज्यमंत्री रेखा आर्य का कहना है कि सचिव ना होने की वजह से कई ऐसे महत्वपूर्ण योजनाएं विभाग की हैं जिनको कैबिनेट से मंजूरी मिलनी है लेकिन सचिव के चलते प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं आ पा रहा है। मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और उन्होंने मुख्यमंत्री को खुद भी इस मामले को लेकर अवगत कराया है।
मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच तालमेल का अभाव-विपक्ष
वहीं इस मामले शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि वह इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री से जल्द बात करेंगे। वहीं विपक्ष इस बहाने सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बीच भी तालमेल का अभाव देखने को मिल रहा है जिसकी वजह से कामकाज जनता के प्रभावित हो रहे हैं।महिला एवं बाल विकास विभाग में विभागीय सचिव न होने के चलते सौभाग्यवती किट योजना जैसे महत्वपूर्ण योजना का प्रस्ताव कैबिनेट में नहीं आ पा रहा है। वहीं कई अन्य महत्वपूर्ण योजनाओं के साथ ही विभागीय कामकाज भी नहीं हो पा रहे हैं। ऐसे में देखना यह होगा कि आखिर कब तक महिला एवं बाल विकास विभाग को सचिव मिलता है जो कामकाज को देखें।