देहरादून: उत्तराखंड में जहां लोकसभा चुनाव की 5 सीटों के नतीजों पर सबकी नजर है। वहीं, इन सबके बीच उत्तराखंड में एक और चुनाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। चुनाव को लेकर राजनीतिक दल तो तैयारी में जुटे ही हैं। साथ ही गांवों में वोटर और चुनावी मैदान में खम ठोकने के लिए संभावित प्रत्याशी अभी से तैयारियों में जुट गए हैं।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के नतिजों के बाद एक और चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो जाएंगी। हरिद्धार जिले को छोड़कर प्रदेश के 12 जिलों में पंचायत चुनाव होने हैं। चुनाव सितम्बर के माह में होने की उम्मीद की जा रही है। पंचायत चुनाव को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। प्रदेश के 12 जिलों में 7491 ग्राम प्रधान, 2988 क्षेत्र पंचायत, 357 जिला पंचायत सदस्यों के साथ ही 55,506 वार्ड मेंबर के लिए चुनाव होगा। चुनाव को लेकर इन दिनों प्रदेश की ग्राम पंचायतों में वोटिंग लिस्ट तैयार कराए जाने का काम चल रहा है। राज्य निर्वाचन आयुक्त चंद्र शेखर भट्ट का कहना है कि 12 जुलाई तक अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी।
पंचयात चुनाव यूं तो पार्टी सिम्बल पर नहीं होते हैं, लेकिन फिर भी राजनीतिक दलों के लिए ये चुनाव साख बचाने की लड़ाई से कम नहीं होता। पंचायत चुनाव में परचम लहराना सभी पार्टियों के लिए टेढ़ी खीर साबित होता है। इस चुनाव में खास बात यह है कि वोटर पंचायत चुनाव में पार्टी नहीं, प्रत्याशी की छवी पर वोट करता है। लेकिन, 12 जिलों में होने जा रहे पंचायत चुनाव को जीतने के लिए अभी से भाजपा-कांग्रेस ने अपनी जीता का दावा करना शुरू कर दिया है।
भाजपा और कांग्रेस भले अभी से पंचायत चुनाव में परचम लहाने का दम भर रहे हों, लेकिन पंचायत चुनाव में ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचयात और जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचित होने के बाद कौन सा दल सबसे ज्यादा ब्लाॅक प्रमुख और सबसे ज्यादा जिला पंचायत के अध्यक्ष पदों पर जीत हासिल करेगा, असल जीत उसी दल की होगी।