देहरादून : उत्तराखंड में कोरोना योद्धा के साथ मजाक किया जा रहा है। सरकार ने रोडवेज कर्मचारियों को कोरोना योद्धा का दर्जा तो दे दिया है, लेकिन अभी तक वेतन नहीं दिया। कर्मचारियों को अभी तक मार्च और अप्रैल महीने का वेतन भी नहीं मिल पाया। बावजूद इसके ड्राइवर और कंडक्टर समेत अन्य कर्मचारी इस संकटकाल में अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं। हद तो तब हो गई जब रोडवेज कोरोना योद्धाओं का खाने का खर्चा भी उनके सैलरी से काटने का फैसला किया गया। इससे रोडवेज कर्मचारियों में रोष है। ये कोरोना योद्धाओं के साथ मजाक नहीं तो और क्या है।
जान की बाजी लगाकर प्रवासियों को सुरक्षित पहुंचा रहे घर
बता दें कि ड्राइवर-कंडक्टर को भोजन के लिए 500 रुपये दिए जाते थे जो कि अब रोडवेज उनकी सैलरी से काटेगा। एक ओर हमारे कोरोना योद्धा अपनी जान की बाजी लगातर प्रवासियों को उनके घर सुरक्षित पहुंचा रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनको झटका दिया जा रहा है। रोडवेज ने ड्राइवर-कंडेक्टरों के भोजन का पैसा उनके वैतन से काटने का फैसला किया है।
दो महीने से नहीं मिला वेतन
उत्तराखंड रोडवेज में साढ़े सात हजार स्थायी और अस्थायी कर्मचारी हैं। लॉकडाउन के बाद रोडवेज की आय नहीं हो रही है, जिस कारण रोडवेज कर्मचारियों को मार्च-अपैरल का वेतन नहीं दिया गया। दो महीने से वेतन नहीं मिलने से कर्मचारियों के समक्ष आर्थिक संकट बढ़ता जा रहा है। वहीं ऐसे में कोरोना योद्धाओं ने सरकार के लिए काम करने की ठानी और प्रवासियों को उनके घर सुरक्षित पहुंचाने में लगे हैं लेकिनय क्या रोडवेज उनके खाने तक का खर्च नहीं उठा सकता? ये बड़ासवाल है।