चमोली: पहाड़ के गांवों की पहाड़ जैसी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। चमोली के डुमक गांव में 2007 में सड़क स्वीकृत हो गई थी, लेकिन आज तक बन नहीं पाई। जिसका नतीजा यह रहा कि लोगों को अस्पताल आने के लिए आज भी डंडियों का सहारा लेना पड़ रहा है। आए दिन गांव की ऐसी तस्वीरें भी सामने आती रहती हैं। कई बार लोगों की जान पर बन आती है, तो कई मौकों जान तक चली जाती है।
शनिवार को एक महिला की तबीयत अचानक बिगड़ने पर ग्रामीणों ने बारिश और बर्फबारी के बीच ही 18 किमी पैदल चलकर डंडी के सहारे उसे अस्पताल पहुंचाया। महिला को विवेकानंद धर्मार्थ चिकित्सालय पीपलकोटी में भर्ती किया गया है। डुमक की विनीता देवी की बीती रात को तबीयत बिगड़ गई। गांव के आसपास स्वास्थ्य सुविधा न होने और सड़क के नहीं होने के कारण ग्रामीणों ने कुर्सी को लकड़ी के डंडों से बांधकर डंडी तैयार की और महिला को अस्पताल ले गए।
बर्फबारी होने के कारण कई जगहों पर रुकना भी पड़ा। करीब 18 किमी पैदल चलकर ग्रामीणों ने महिला को स्यूणा बैमरु गांव तक पहुंचाया। गांव के पैदल रास्ते पर पड़ने वाली रुद्रगंगा में भी पुल नहीं बनाया गया है, जिसे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर पार करना पड़ता है। गांव तक सड़क पहुंचाने का हवाई आश्वासन तो मिलता है, लेकिन धरातल पर वो प्रयास कभी नजर नहीं आते।