देहरादून : जब एक युवा सेना में जाने के लिए तैयार होता है और उसके कंधों पर सितारे चमकते हैं तो जितनी खुशी उस युवा सैनिक को होती है उससे कई ज्यादा खुशी परिवार वालों को होती है कि उसका बेटा देश की सेवा के लिए तैयार है. और वो खुशी साफ उस वक्त मां-बाप के चेहरों में देखी जा सकती है जब परिजन बेटे के कंधों पर सितारे सजाते हैं और बेटा गर्व से खड़ा होकर वर्दी को सैल्यूट करता है और ये खुशी और चोगुनी तब होती है जब उसकी अर्धांगनी भी वर्दी पहनकर उससे कंधे से कंधा मिलाकर देश की रक्षा करे. जिससे देश के साथ प्रदेश का नाम भी रोशन हुआ.
वीरेंद्र सिंह बने CISF में असिस्टेंट कमांडेंट और पत्नी सब इंस्पेक्टर
जी हां कुछ ऐसा ही हुआ अल्मोड़ा निवासी वीरेंद्र सिंह मेहता के साथ जो की 2011 में सब इंस्पेक्टर पर पर भर्ती हुए थे लेकिन उनको तो आसमान छूना था…और अब उनको सीआईएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट पद हासिल हुआ और जब मां बेटे के कंधे पर सितारे सजा रही थी तो बेटे की सफलता की खुशी साफ उनके चेहरे पर देखी जा सकती थी. और उस पत्नी की खुशी भी सातवे आसमान पर थी जो खुद सीआइएसएफ में सब इंस्पेक्टर है.
मां के आंखों में खुशी के आंसू
आपको बता दें अल्मोड़ा जिले के बिन्तोला गांव के रहने वाले वीरेंद्र ने कमीशन हासिल कर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल में असिस्टेंट कमांडेंट के पद पर नियुक्ति पाई है जिससे उनके गांव में खुशी का माहौल है। हैदराबाद में हुई पासिंग आउट परेड के बाद वो सीआइएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट बन गए। इस दौरान उनकी मां और पत्नी और 10 साल का बेटा भी वहां मौजूद रही. मां ने बेटे के कंधे पर सितारे सजाए और मां भावुक हो उठी. ये एक मां के खुशी के ही आंसू थे.
सीआइएसएफ में सब इंस्पेक्टर पद पर भर्ती हुए थे वीरेंद्र
आपको बता दें असिस्टेंट कमांडेंट बने वीरेंद्र की शुरुआती शिक्षा पपरसली हुए जिसके बाद वो मेरठ चल दिए। आपको बता दें वीरेंद्र 27 जुलाई, 2011 में सीआइएसएफ में सब इंस्पेक्टर पद पर भर्ती हुए थे लेकिन उनको कुछ बड़ा करना था इसके बाद उन्होंने यूपीएससी का टेस्ट पास किया और ट्रेनिंग हैदराबाद में की। 8 महीने की कठिन ट्रेनिंग के बाद आखिर कार वो पल आया जिसका उनको औऱ उनके परिवार वालों को इंतजार था.