नैनीताल : उत्तराखण्ड के पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं के एक घायल पुरुष की डोली उठाकर ले जाते वीडियो ने बालिग उत्तराखण्ड के विकास की पोल खोलकर रख दी है। इन शर्मनाक तस्वीरों ने प्रदेश की स्वास्थय व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बागेश्वर जिले से लगी पिंडर घाटी के दूरस्थ गांव बोरबलड़ा में व्यवस्थाओं का आभाव इन तस्वीरों से सहज ही लगाया जा सकता है। गांव में पखडण्डी ही गांव तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है। गांव से नजदीकी मोटर मार्ग केवल 10 किलोमीटर दूर है। बोरबलड़ा गांव में 32 वर्षीय खिलाफ सिंह चारा काटने के दौरान घायल हो गए। खिलाफ को अस्पताल ले जाने के लिए युवाओं की जरूरत पड़ी तो पलायन के पीड़ित गांव में एक्का दुक्का जवान ही मिले। गांव में अधिकतर बुजुर्ग और महिलाएं रह गई हैं। हालात गंभीर होता देख गांव की मजबूत महिलाओं ने डोली उठाने की कमान संभाली। ऐसे हालात में घायल को 10 किमी दूर बदियाकोट तक डोली में लाना बेहद चुनौतीपूर्ण था। गांव की महिलाओं ने साहस का परिचय दिया और घायल की डोली रोड तक पहुंचा दी। महिलाओं ने तीव्र ऊंचाई वाले उबड़-खाबड़ रास्ते होते हुए घायल को सड़क मार्ग तक पहुंचाया।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास कोई संसाधन नहीं हैं और नेता भी उनके पास केवल वोट मांगने आते हैं।