रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में बारिश के कहर जारी है. पहाड़ों में बंद सड़कें लोगों की जिंदगी पर भी भारी पड़ने लगी हैं। रविवार को रुद्रप्रयाग जिले में प्रसव पीड़ा से गुजर ही एक विवाहिता इसी वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाई। उसके नवजात ने दुनिया में आते ही दम तोड़ दिया। विवाहिता का फाटा स्थित अस्पताल में उपचार चल रहा है।
गुप्तकाशी के समीपवर्ती ल्वारा गांव निवासी रविंद्र सिंह की पत्नी मोहिता को सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई। रविंद्र और उसके परिजन मोहिता को अपने निजी चौपहिया वाहन से फाटा स्थित सरकारी अस्पताल के लिए चले। अस्पताल से करीब एक किलोमीटर पहले खाट गांव के पास भूस्खलन की वजह से हाईवे बाधित होने से गाड़ी आगे ले जाना संभव नहीं हो पाया। इस पर परिजन स्लाइडिंग जोन को पार कर हाईवे के दूसरी तरफ जाने के लिए खाटगांव के पगडंडी वाले रास्ते से आगे बढ़े। कुछ दूर चलने के बाद मोहिता की पीड़ा बढ़ गई और उसे रास्ते में ही प्रसव हो गया।
प्रसव तो ठीक से हो गया लेकिन नवजात को बचाया नहीं जा सका
इधर, विवाहिता और परिजनों के पैदल रास्ते से अस्पताल आने का पता चलने पर फाटा अस्पताल से एएनएम और दो पुलिस कर्मी भी मदद के लिए चल दिए थे, कुछ ही देर में वह भी मौके पर पहुंच गए। तब तक आसपास के ग्रामीण भी मदद के वहां पहुंच गए। प्रसव तो ठीक से हो गया लेकिन नवजात को बचाया नहीं जा सका। दुनिया में आने के कुछ ही क्षण बाद उसने दम तोड़ दिया। विवाहिता को परिजन फाटा स्थित अस्पताल ले गए, जहां उसकी हाल स्थिर बताई जा रही है। विवाहिता के पति रविंद्र ने बताया कि फाटा में कुशल नर्स व डॉक्टर होना देखते हुए उन्होंने घर से नजदीक स्थित गुप्तकाशी स्वास्थ्य केन्द्र कीबजाय फाटा स्वास्थ्य केन्द्र ले जाने का फैसला किया था।
बच्चे की धड़कन काफी कम चल रही थी, ठंड लगने से बच्चे की मौत हुई
वहीं इस बारे में मुख्य चिकित्साधिकारी एसके झा का कहना है कि हाईवे बंद होने से महिला समय पर उपचार के लिए नहीं पहुंच सकी। हालांकि, यह महिला गुप्तकाशी स्वास्थ्य केन्द्र या फिर जिला चिकित्सालय लाया जा सकता था। उन्होंने बताया कि मौके पर नर्स भी पहुंच गई थी, बच्चे की धड़कन काफी कम चल रही थी। संभवत: खुले में प्रसव होने के कारण ठंड लगने से बच्चे की मौत हुई होगी। खुले में प्रसव की वजह से कई बार नवजात की जिंदगी खतरे में पड़ जाती है।
गौर हो कि बारिश के चलते इनदिनों पर्वतीय क्षेत्रों में काफी संख्या में सड़कें अवरुद्ध हैं। मुख्य हाईवे भी भूस्खलन की वजह से घंटों बाधित रह रहे हैं। इससे न केवल आवागमन बाधित हो रहा है, बल्कि बीमारों को अस्पतालों तक पहुंचाना भी चुनौती बना हुआ है।