देहरादून : हे त्रिवेंद्र, आप अक्सर मौन रहते हो और ज्यादा खुलते नहीं, इसी मौन से कुछ लोग नाराज़ भी हो जाते हैं, मगर इस मौन के पीछे की जो चाल है वो कोई नहीं समझ पाता शायद, राजनीति तो आरोपों प्रत्यारोपों से ही चलती है, मगर राजनीति से परे हटकर देखा जाए तो अभी तक आप पर कोई आरोप भी नहीं आया, स्वयं में मौन धारण किये निरर्थक आरोपों पर आप सफाई भी नहीं देते, ये भी शायद लोगों को खल जाता है, जब आप सत्ता में आये तो भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का एक नारा दिया, जिस पर लोगों ने कुछ मजाक भी उड़ाया परन्तु वो मजाक उड़ाने वाले भी आप के दामन में दाग तलाश ही करते रह गए हैं , अपितु ये बात जरूर है कि छोटे छोटे स्तर पर दिन ब दिन होने वाले भ्रष्टाचार से जनता को अभी भी कहीं न कहीं दो चार होना पड़ता है।
आपने जनता को जो अटल आयुष्मान के रूप में जो तोहफा दिया
कभी कभी मुझे भी आपका मौन और संवादहीनता खलती है, मगर उस मौन को धारण किये किये जिस तरह आपने अटल आयुष्मान जैसी योजना भारवर्ष में पहली बार जमीन पर उतार दी, वो निश्चय ही गरीबों के लिए, जो अपने मरीज को पैसे के अभाव में तिल तिल मौत के मुंह में जाते हुए देखने पर मजबूर होकर बेबसी के आंसू बहाने को मजबूर थे, जो बड़े अस्पतालों के दरवाजे जाने से भी डरते थे, उस गरीबी से अभिशप्त जनता को जो अटल आयुष्मान के रूप में जो तोहफा दिया है आपने उसके लिए मैं आपकी तहे दिल से तारीफ करूंगा, भले ही आपके मौन का मैं भी मैं मौन आलोचक क्यों न हूँ।
और त्रिवेंद्र आपने मौन धरे-धरे ही उस चीज को अंजाम दे दिया
और त्रिवेंद्र आपने मौन धरे-धरे ही उस चीज को अंजाम दे दिया जिसकी जनता और हम मीडिया वाले परिकल्पना ही करते थे, जी हाँ मैं उस योजना कीबात बात कर रहा हूँ, जो आप अपने करीबियों से भी छुपा गए, मैं बात कर रहा हूँ उस चीज की जो उत्तराखंड ही नहीं पूरे भारतवर्ष में धमाका करने वाली है, आप बताएं न बतायने हम ठहरे मीडिया वाले, कहीं न कहीं से खुशबू भांप ही लेते हैं, हम उसी चीज की बात कर रहे हैं जो आप फरवरी में जनता को देने जा रहे हैं, जब मैंने उस बात को सुना तो मेरे कान मनो ठहर से गए, मैं यहाँ लिख कर उस सारी बात को आपकी मौन साधना के फल को बेवक्त ही नहीं जनता में बंटने देना चाहता हूँ, मगर जो चुपचाप ख़ामोशी ओढ़ कर आप अब करने जा रहे हैं यकीनन ही उत्तराखंड क्या पूरे भारत में लोगों का एक दिवास्वप्न है, मैं अग्रिम बधाई दूंगा आपको, और विनती करूँगा पाठकों से माफ़ी के साथ की मैंने पर्दा नहीं उठाया है, मगर मैं चाहता हूँ हे त्रिवेंद्र की पर्दा भी आप उठायें और किरदार में जनता हो, मैं मुखर मौन का आलोचक बनकर आपके मौन को प्रणाम करना चाहता हूँ, अग्रिम बधाइयों के साथ ,
बसंत निगम