देहरादून: मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम बनने के साथ ही यह ऐलान कर दिया था कि उनकी सरकार जीरो टाॅलरेंस की नीति पर चलेगी। सरकार ने साबित भी किया। जीरो टाॅलरेंस नीति को और ताकतवर बनाने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने अब ई-गवर्नेंस का वार तेज कर दिया है। ई-ऑफिस से लेकर ई-मंत्रिमंडल जैसे कड़े कदम उठाए हैं। इससे जहां भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी। वहीं, पर्यावरण को संरक्षित करने का संकल्प भी सिद्ध होगा।
उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार ने डिजिटल तकनीक को अपनाते हुए जीरो टॉलरेंस की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। त्रिवेंद्र सरकार ने ई-गवर्नेंस की शुरूआत की है, जिसके जरिए कैबिनेट मंत्रियों का लगभग विभाग का सभी काम ऑनलाइन कर दिया गया है। राज्य सरकार का दावा है कि ई-प्रणाली से भ्रष्टाचार पर रोक लगेगी।
त्रिवेंद्र सरकार ने केवल कार्यालय ही ई-ऑफिस में तब्दील नहीं किए, बल्कि जीरो टॉलरेंस नीति को और कारगर और धारदार बनाने के लिए ई-मंत्रिमंडल प्रणाली भी शुरू की। इससे कैबिनेट मंत्रियों के लगभर सभी विभागीय काम ऑनलाइन होंगे। यहां तक ही फाइलों को पास करने के लिए भी ऑनलाइन ही डिजिटल सााइन किये जाएंगे। इससे जहां काम समय पर होंगे। वहीं, कागज की बचत होगी, जिसका दोहरा लाभ यह होगा कि एक तो कागजों पर आने वाला खर्च बचेगा और दूसरा पर्यावरण भी संरक्षित होगा।
त्रिवेंद्र सरकार का दावा है कि ई-डिजिटल प्रणाली से जहां एक तरफ विभागीय कामकाज की पूरी जानकारी जनता को होगी, तो भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगेगी। सरकारी सेवाओं में धन का दुरूपयोग और जनता के साथ धोखाधड़ी नहीं होगी। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सीएम डैशबोर्ड को भी अब पब्लिक डैशबोर्ड बनाने का ऐलान कर दिया है। अब तक केवल सीएम डैशबोर्ड में मुख्यमंत्री और सचिव विभागीय बजट को देख सकते थे। अब आम जनता भी यह देख पाएगी कि कितना बजट कहां खर्च किया जा रहा है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सत्ता संभाालने के पहले दिन से अब तक अपने फैसलों से यह साबित कर दिखाया कि उन्होंने केवल दावे नहीं किए, जो कहा वो कर दिखया। उनकी सरकार में जीरो टाॅलरेंस नीति लगातार मजबूत होती चली गई और भ्रष्टचार की जड़ों कमजोर होती चली गई।