देहरादून- उत्तराखंड का जिक्र दिल्ली में हो रहा है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जब उत्तराखंड के दस्तावेज खंगाले तो पता चला कि उत्तराखंड ने बिहार, दिल्ली और राजस्थान को पछाड़ दिया है। उत्तराखंड देश के उन टॉप टेन राज्यों की सूची में नवें पाएदान पर हैं जहां सर्वाधिक फर्जी सामाजिक पेंशन बंट रही हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार सुधाकर शुक्ला ने राज्य के अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण डा. रणवीर सिंह को इस बारे में पत्र भेज कर मामलों की जांच पड़ताल करने के साथ-साथ एक्शन लेने को भी कहा है। इसके अलावा खत में कहा गया है कि वे पड़ताल से केंद्र को भी वाकिफ कराए।
बताया जा रहा है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्य में बंट रही सामाजिक पेंशन लाभार्थियों का लेखा जोखा जुटाया। जब राज्यों से मिले आंकंड़ों को डिजिटाइज्ड किया गया तो पता चला कि इनमें दो लाख 25 हजार 979 लाभार्थी फर्जी हैं। जबकि राज्य में बटं रही सामाजिक पेंशन लाभार्थियों की कुल संख्या दो लाख 83 हजार 789 है। केंद्र ने बताया कि राज्य में 29 हजार 633 लाभार्थी ऐसे हैं जिनके पिता, पति और खुद के नाम फर्जी हैं।
बहरहाल राज्य में जब वृद्धावस्था, विधुवा, विकलांग जैसी सामाजिक सुरक्षा पेंशन देनी शुरू हुई थी तब कागजात कलम से स्याही से दर्ज होते थे। लेकिन जब योजनाओं को आधार से जोड़ा गया तो किसी भी दस्तावेज को नहीं खंगाला गया। वहीं कई वर्तनी(Spelling) गड़बड़ियां आधार बनाने वालों ने कर दी।
कई ऐसे दस्तावेज भी देखे गए हैं जिनमें पेशंन पट्टा, राशनकार्ड, बैंक अकाउंट और आधार कार्ड में लाभार्थी और उसके पति, या पिता के नाम में Spelling की गल्तियां है। हालांकि पड़ताल होने के बाद पता चलेगा कि वाकई में केंद्र के डिजिटल आंकडे सही हैं या उत्तराखंड की जमीनी हकीकत। हालाकि केंद्र के डिजिटल फार्मूले ने उत्तराखंड को फर्जी पेंशन धारको में टॉप टेन में शामिल करते हुए नवां नंबर दिया है।