नैनीताल: तीन तलाक कानून बनने की राह आसान नहीं रही। कानून बनने के बाद भी अब तक तीन तलाक के मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन, समय के साथ बदलाव भी आने लगा है। तीन तलाक कानून की महत्वा को देखते हुए कुमाऊं विश्वविद्यालय ने इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय लिया है। इस तरह कुमाऊं विवि पहला विवि बनने है, जिसने इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल किया है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय देश का पहला ऐसा विश्वविद्यालय बनने जा रहा है, जहां तीन तलाक कानून को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति केएस राणा ने कहा कि इसी सत्र से तीन तलाक कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात की है। उन्होंने कहा कि इसको इसी सत्र से लागूं किया जा सकता है।
कुमाऊं विश्वविद्यालय में पहले से ही मुस्लिम पर्सनल लॉ पढ़ाया जा सका है अब तीन तलाक को भी इसमें शामिल कर लिया जाएगा। तीन तलाक मामले को इसके अंजाम तक ले जाने वाली तीन महिलाओं में से एक उत्तराखंड के काशीपुर की सायरा बानो है, जिन्होंने तीन तलाक कानून को चुनौती दी थी। कुलपति केएस राणा ने बताया कि विश्वविद्यालय के लॉ पाठ्यक्रम में मुस्लिम पर्सनल लॉ शामिल है, जो सालों से विधि के छात्रों को पढ़ाया जाता है। केन्द्र और राज्य सरकारों के कानूनों में संशोधन के बाद इन कोर्सों को अपग्रेड करना तय हो जाता है।