हाईस्कूल और इंटर बोर्ड की बची परीक्षाओं को कराने की तैयारी पूरी कर डेटशीट भी जारी कर दी गई है। कोरोना के कारण लाॅकडाउन के दौरान स्टूडेंट बेफिक्र भी रहे और तनाव में भी। लेकिन, उनका तनाव अब और बढ़ गया है। उनको कोरोना के खतरे के बीच ही अपनी परीक्षा देनी है। इस तनाव को कैसे दूर करें। पेपर को कैसे सही ढंग से हल करें। इस दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। ये टिप्स केवल बोर्ड एग्जाम के लिए ही नहीं, बल्कि अन्य एग्जाम में भी कारगर होंगे। इस पर सूचना विभाग में बतौर उपनिदेशक सेवाएं दे रहे विधानसभा मीडिया सेंटर के प्रभारी मनोज श्रीवास्तव ने स्टूडेंट के लिए जरूरी टिप्स दिए हैं। जिनको पढ़ने से बच्चों में सकारात्मकता आएगी और वो अपनी परीक्षा बेहतर ढंग से दे पाएंगे…।
लक्ष्य के मार्ग में विघ्न तो आयेंगे ही लेकिन, उन विघ्नों को विघ्न न समझकर केवल आने वाला पेपर समझना चाहिए। अपनी ऊंची स्थिति की परख लक्ष्य के मार्ग में आने वाला पेपर ही कराता है। इसलिए अन्य बातों पर ध्यान नहीं देना है, बल्कि केवल सामने पेपर को देखना है। पेपर में भिन्न-भिन्न प्रश्न मिलते हैं, जैसे मन की उलझन, हलचल, लोक-लाज की चिन्ता, कि लोग क्या कहेंगे और अपने कत्र्तव्य से डिगने का भय है। परंतु पेपर देखकर कभी घबराना नहीं चाहिए, बल्कि शांत चित और तटस्थ भाव से पूर्व स्मृति को याद कर कापी पर लिखना प्रारम्भ कर देना चाहिए। पेपर की गहराई में जाकर उत्तर लिखें अर्थात बातों की गहराई में जाकर प्रश्न को हल करें।
सेल्फ स्टडी से बढिया कोई चीज नहीं होती है। इसलिए ट्यूशन इत्यादि के भरोसे नहीं रहना चाहिए। बल्कि अपना इंतजाम स्वयं कर लेना चाहिए और किसी का इंतजार नहीं करना चाहिए। जब इंतजार छोड़कर अपना इंतजाम कर लेंगे तब हम दूसरों के लिए एग्जाम्पल बन जायेंगे। अपना पूरा ध्यान पढ़ाई पर फोकस रखते हुए इस प्रकार पढ़ना है कि हमारे और पढ़ाई के बीच कोई तीसरा न आने पाये। अर्थात पढ़ाई और अपने अतिरिक्त किसी तीसरी चीज को देखते हुए न देखें और सुनते हुए न सुनें। अपने पढ़ाई के प्रति निश्चय और नशा रखकर निश्चिंत अवस्था में पढ़ना है।
परीक्षा में फेल होने का भय भी निकाल देना चाहिए। इसके लिए अपने ईष्ट परमात्मा को याद करते रहना चाहिए। कहा जाता है कि सर्व शक्तिमान परमात्मा के साथ हमें देखने पर माया हमारे पास नहीं आयेगी और वह दूर से भाग जायेगी। जब माया हमें अकेले देखती है, तभी वह हमारे पास आने की हिम्मत भी करती है। शिकारी भी जब शिकार पर जाता है, तब बचाव के लिए आग जलाकर रखता है। उसी प्रकार परमात्मा की अग्नि हमारी पढ़ाई के लगन को बुझने नहीं देती है। हमारे अंदर अग्नि की शक्ति स्वतः आ जाती है, इसके बाद हमें विजय ही विजय मिलती है।