देहरादून: उत्तराखंड के हर रेलवे स्टेशन का नाम अब संस्कृत में ही नजर आएगा। इसके लिए रेलवे ने बाकायदा आदेश भी जारी कर दिए हैं। रेलवे स्टेशनों के नाम उर्दू की जगह अब संस्कृत में लिखे जाएंगे। रेलवे ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। राज्य सरकार को पत्र लिखकर जिलाधिकारियों के माध्यम से स्टेशनों के संस्कृत नाम बताने का अनुरोध किया है।
हरिद्वार की लक्सर विधानसभा के विधायक संजय गुप्ता ने इस मामले को रेल मंत्री के सामने उठाया था। रेलवे बोर्ड के नियम के मुताबिक, रेलवे स्टेशनों पर लगे बोर्ड में स्टेशनों के नाम अंग्रेजी और हिंदी के बाद संबंधित राज्य की द्वितीय राजभाषा में दर्ज होता है। उत्तर प्रदेश में रहते हुए उत्तराखंड के स्टेशनों के नाम भी वहां की द्वितीय राजभाषा उर्दू में चल रहे थे। 2010 में संस्कृत को उत्तराखंड की द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिला। लेकिन तब तक न रेल महकमे, राज्य सरकार और न अन्य किसी का ध्यान इस तरफ गया।
26 दिसंबर 2019 को मुरादाबाद मंडल में हुई बैठक में इस पर चर्चा हुई। वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक मुरादाबाद रेल मंडल रेखा शर्मा ने बताया कि इस संबंध में उत्तराखंड शासन को पत्र भेज दिया है। पत्र में उत्तराखंड में पड़ने वाले स्टेशनों के संस्कृत नाम की स्पेलिंग जिलाधिकारियों के माध्यम से बताने का अनुरोध किया है। नाम की स्पेलिंग मिलते ही स्टेशनों पर संस्कृत में नाम लिखे जाएंगे।