देेहरादून (मनीष डंगवाल): डबल इंजन सरकार से युवाओं को नौकरी की उम्मीद थी। ये बात अलग है कि सरकार ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। दूसरी और जिन युवाओं ने कड़ी मेहनत कर एक साल पहले नौकरी हासिल की थी। नौकरी की सारी जरूरी औपचारिकताएं भी पूरी कर ली थी। डबल इंजन की सरकार ने उनकी नियुक्तियों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। नौकरी हासिल कर चुके युवा पिछले एक साल से इस इंतजार में हैं कि कब उनको मेहनत से हासिल की हुई नौकरी मिलेगी।
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युवाओं को बढ़ी टेंशन
हर युवा का सपना एक अच्छी और सरकारी नौकरी होती है। नौकरी के लिए पहाड़ से देहरादून में हजारों रुपये खर्च कर रहे ज्यादातर युवा नौकरी की उम्मीद में नौकरी की उम्र पार कर गए। लेकिन, जिन युवाओं ने उम्र रहते नौकरी हासिल की थी। वो भी खुद को ठगा हुआ महसूस करने लगे हैं। उनको नौकरी मिलते समय जो खुशी मिली थी, वो अब चिंता में तब्दील हो चुकी है। उनके सपनों की उड़ान धीमी होने लगी है।
114 हुए थे सफल
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पिछले साल विभिन्न विभागों में उत्तराखंड के 114 युवाओं का चयन कनिष्ठ सहायक पद पर हुआ था। तब वो बेहद खुश थे। नियुक्ति का इंतजार करते-करते वो अब तनाव में रहने लगे हैं। उनको इस बात की चिंता खाए जा रही है कि आखिर सरकार करना क्या चाहती है ? उनको नियुक्ति क्यों नहीं दी जा रही ? इसी तरह के कई सवाल उनके मन में कौंध रहे हैं, लेकिन उनको सवालों का जवाब नहीं मिल पा रहा है।
2018 में हुई थी नियुक्ति
गत वर्ष 19 मई 2018 को परिक्षा परिणाम आया। शैक्षिक प्रमाण पत्रों की जांच भी हो चुकी है। टाइपिंग टेस्ट भी पास कर चुके हैं। उनको तब जल्द नियुक्ति पत्र दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन एक साल बाद भी नियुक्ति पत्र नहीं मिला। चयनित युवा इस उधेड़बुन में फंसे है कि वो दूसरी नौकरी की तैयारी करें या फिर इसी का इंतजार करते रहें।
आयोग की कहानी
सेवा अधिनस्थ चयन आयोग की मानें तो उनको कहना है कि चयन होने के बाद नियुक्ति में कम से कम एक साल तो लग ही जाता है। उनकी यह बात कम से कम तर्क तो नहीं ही लगती है। दूसरा उनका यह कहना है कि कनिष्ठ सहायक पद पर चयनित अभ्यर्थी के मामले में 114 पदों पर विज्ञप्ति निकाली गई थी, जिसमें चयनित 11 अभ्यर्थी ज्वॉइनिंग लेने के इच्छुक नहीं हैं। इसके चलते अन्य चयनितों को नियुक्ति देने में दिक्कत हो रही है।
बेवजह लटकाई जा रही नियुक्ति
सवाल यह है कि वेटिंग लिस्ट को लेकर पहले भी आयोग को कई पत्र लिखे जा चुके हैं। विभागों ने भी जल्द नियुक्ति देने की बात कही थी। खुद संतोष बडोनी ने करीब दो माह पहले कहा था कि कुछ दिनों के भीतर वेटिंग लिस्ट जारी कर दी जाएगी, लेकिन अब फिर से वे 20 से 25 दिनों के भीतर वेटिंग लिस्ट जारी करने का दावा कर रहे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आयोग किस तरह चयनित अभ्यर्थियों को बेवजह लटकाने का काम कर रहा है।