
बताते चलें कि आज फिर रात 2 बजे से सूबह 5 बजे तक खड़कपुर नाथूपुर जैसे रिहायशी इलाकों में भी हाथियों का आतंक देखने को मिला, जहां पर ग्रामीण द्वारा रात भर घर से बाहर इस कड़ाके की ठंड में अपनी जान बचाने को दौड़ते रहे।
वहीं पीडित ग्रामीणों का कहना है कि आज से पहले इन क्षेत्रों में हाथी कभी न देखा न सुना गया क्योंकि यह आवासीय क्षेत्र है और यहां कभी भी हाथी का आना नामुमकिन सा है पर जब रात हाथी यहां पहुंचा तो बमुश्किल लोगों को अपनी जान बचाना भारी पड़ गया। क्योंकि हाथी झुंड में थे हाथियों ने पहले तो गेहूं की फसल रौंदी, उसके बाद कई बीघा गन्ने की भूमि का नुकसान किया।
वहीं क्षेत्र में विगत कई महीनों से हाथियों का आतंक बदस्तूर जारी है जिसको लेकर जिला प्रशासन ए वन विभाग आंख मूंद कर बैठा हुआ है जैसे कि किसी बड़े हादसे के इंतजार में बैठा हो.
इधर जिला पंचायत सदस्य डॉ मोहन बिष्ट का कहना है किए सरकार एवं प्रशासन को शायद अब इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए एक निर्णायक लड़ाई लड़नी होगी. तभी जाकर शायद सरकारी अमला होश में आए। उन्होंने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।