चंपावत : फरवरी 2010 में संदिग्ध परिस्थितियों में कानपुर से गायब हुए चंपावत निवासी आईटीबीपी का जवान दिल्ली के क्नॉट प्लेस स्थित एक हनुमान मंदिर के पास खड़ा मिला। जवान के मिलने की खबर से परिवार समेत पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है सब उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं. जवान की पत्नी के आंखों में खुशी के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे. उसके अचानक गायब होने के कारणों का पता फिलहाल नहीं लग सका है. उससे पूछताछ की जा रही है कि आखिर हुआ क्या था.
आंखों में खुशी के आंसू लिए पत्नी कर रही पति का इंतजार
वहीं लापता जवान के मिल जाने से इंतजार कर रही पत्नी औऱ परिवार समेत पूरे क्षेत्र में खुशी का माहौल है। वहीं अब सालों से पति का इंतजार कर रही पत्नी के आंखों में आंसू सूखने का नाम नहीं ले रहे हैं. पत्नी खुशी के आंसू लिए अब पति के घर लौटने का इंतजार कर रही है.
2 फरवरी 2010 को अचानक हुए थे लापता
मिली जानकारी के अनुसार रचम्पावत मुख्यालय से सटे डुंगरासेठी गांव निवासी विक्रम सिंह चौधरी 1986 में आईटीबीपी में सब इंस्पेक्टर पद पर भर्ती हुए थे। नवंबर 2009 में विक्रम एक महीने की छुट्टी पर घर आए हुए थे जो की 20 दिसंबर को वापस चले गए। 2 फरवरी 2010 को परिजनों को सूचना मिली कि विक्रम कानपुर के बरोरा गुजैनी स्थित आईटीबीपी की 32वीं बटालियन कैंप से संदिग्ध हालात में लापता हो गए हैं। लाख कोशिश के बाद उनका कुछ पता नहीं चला। लापता जवान के परिवाल वालों ने गृह मंत्रालय तक जवान को ढूंढने की गुहार लगाई थी.पुलिस में गुमशुदगी दर्ज कराई लेकिन विक्रम का कहीं भी पता नहीं चल पाया।
ढूंढने के लिए लगाई जी जान, नहीं मिली सफलता
बता दें कि लापता जवान विक्रम को ढूंढने में डुंगरासेठी निवासी और सांसद प्रतिनिधि गोविंद सामंत ने पूर जोर कोशिश कीलेकिन कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी। यही नहीं सामंत ने विक्रम की गुमशुदगी दर्ज कराने के साथ परिवार को कई बार आर्थिक सहायता भी दिलवाई। उनका ही प्रयास रहा कि आइटीबीपी से पत्नी मंजू को नॉर्मल पेंशन मिलनी शुरू हुई।
लापता जवान के भाइयों ने किया परिवार का भरण-पोषण, बच्चों की शादी की
विक्रम के दोनों बड़े भाई डुंगर सिंह चौधरी 72, नारायण सिंह चौधरी 62 वर्ष आइटीबीपी में इंस्पेक्टर पद से सेवानिवृत्त हैं। विक्रम के लापता होने के बाद दोनों भाईयों ने परिवार का भरण पोषण किया औऱ बच्चों की शादी कराई। लापता जवान के भाइयों ने बच्चों को कमी पिता की कमी महसूस नहीं होने दी. सभी जवान के लौटने की आस लगाए हुए थे। अगर विक्रम लापता नहीं होते तो वह भी आज इंस्पेक्टर पद पर पहुंच जाते।
तीनों भाई आईटीबीपी में
बता दें कि विक्रम और उनके दोनों बड़े भाई एक साथ आइटीबीपी में एक स्थान पर पोस्टिंग में रहे। दोनों बड़े भाई डुंगर व नारायण पिता की मौत के समय 19 बटालियन में श्रीनगर में तो वहीं पास में ही 23 बटालियन में विक्रम की तैनाती रही।