देहरादून: अभी हाल ही में यूपी के गाजियाबाद में उल्टी करने के लिए स्कूल बस की खिड़की से सिर बाहर निकालते वक्त एक बच्चे की मौत हो गई थी। उसके बाद से ही देशभर में स्कूल बसों और बच्चों के स्कूल जाने के लिए ऑटो भी बुक किए जाते हैं। उत्तराखंड में कुछ दिनों पहले ही एक बस विकासनगर में सड़क किनारे पेड़ से टकरा गई थी। इस हादसे में दो बच्चों की मौत हो गई थी, लेकिन तमाम हादसों के बाद भी बच्चों की सुरक्षा को लेकर ना तो अभिभावक सतर्क नजर आ रहे हैं और ना ही ऑटो और बस संचालक।
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार हाईकोर्ट ने जुलाई 2018 में स्कूली वाहनों के लिए नियमों की सूची जारी की तो सरकार एवं प्रशासन कुछ दिन हरकत में नजर आए। इस सख्ती के विरुद्ध ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर चले गए और सरकार बैकफुट पर। बीते दिनों जब विकासनगर में स्कूल बस हादसा हुआ तो परिवहन विभाग फिर नींद से जागा और पूरे जनपद में स्कूल बस, वैन व आटो का चेकिंग अभियान चलाया।
इतना ही नहीं 13 मई 2019 को भी प्रेमनगर क्षेत्र में एक निजी स्कूल की बस से गिरकर छात्र की मृत्यु हो चुकी है। प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्र में भी स्कूली वाहनों के हादसे सामने आते रहते हैं। बच्चों की परिवहन सुविधा व सुरक्षा की परवाह न तो सरकार, प्रशासन व परिवहन विभाग को है और न ही मोटी फीस वसूलने वाले निजी स्कूलों को।
हाईकोर्ट ने जुलाई 2018 में स्कूली वाहनों के लिए नियमों की सूची जारी की तो सरकार एवं प्रशासन कुछ दिन हरकत में नजर आए। इस सख्ती के विरुद्ध ट्रांसपोर्टर हड़ताल पर चले गए और सरकार बैकफुट पर। बीते दिनों जब विकासनगर में स्कूल बस हादसा हुआ तो परिवहन विभाग फिर नींद से जागा और पूरे जनपद में स्कूल बस, वैन व आटो का चेकिंग अभियान चलाया।