देहरादून : एक ओर जहां केंद्र की मोदी औऱ राज्य की त्रिवेंद्र सरकार राज्य को, देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने और भ्रष्टाचार करने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का काम कर रही है…वहीं कुछ अधिकारी-कर्मचारी इस पर पलीता लगाने का काम कर रहे हैं. जी हां ताजा मामला आनंद विहार बस अड्डे दिल्ली का है जहां उत्तराखंड रोडवेज बस कंडक्टर का ऐसा कारनामा सामने आया है जिससे हर कोई हैरान है.
आनंद विहार बस अड्डे पर खुली कंडक्टर की पोल
जी हां आनंद विहार बस अड्डे पर हल्द्वानी डिपो की बस में कंडक्टर ने अपना दिमाग लगाते हुए सात फर्जी टिकट बनाए हुए थे वो भी फर्जी बुक से जो की उसकी खुद की थी जबकि कंडक्टर के पास टिकट मशीन पास थी. वहीं जांच के बाद परिचालक को बर्खास्त कर दिया है। निगम प्रबंधन ने प्रवर्तन टीमों को आदेश दिए हैं कि बस में टिकट बुक पर बन रहे सभी टिकट की गंभीरता से जांच की जाए।
DGM को कही मशीन खराब होने की बात, चेक की तो खुली पोल
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हल्द्वानी डिपो की बस को 2 फरवरी को आइएसबीटी देहरादून पर भीड़ अधिक होने की वजह से देहरादून से दिल्ली भेज दिया गया था। बस पर विशेष श्रेणी का परिचालक पवन कुमार तैनात था। आनंद विहार दिल्ली में बस पहुंचने पर डीजीएम ने टिकटों की जांच की। जिसमें पवन कुमार ने सात टिकट मशीन के बजाए टिकट बुक से बनाए हुए थे। कंडक्टर ने डीजीएम से कहा कि टिकट मशीन खराब हो गई थी, जबकि जब डीजीएम ने मशीन चेक की तो एकदम सही थी.
क्या लंबे समय से लगा रहा है रोडवेज को चपत
गड़बड़ी का शक होने के चलते डीजीएम ने वे-बिल कब्जे में लेकर जांच की जिसमे टिकट नंबर का मिलान न होने पर टिकट बुक और वे-बिल खुद के कब्जे में ले लिया। अगले दिन इनकी निगम मुख्यालय दून में टिकट बुक व वे-बिल की जांच कराई गई तो टिकट बुक फर्जी निकली। शक जताया रहा कि आरोपी परिचालक लंबे समय से फर्जी टिकट काटकर रोडवेज को चपत लगा रहा था।
जांच रिपोर्ट पर महाप्रबंधक ने दोषी परिचालक पवन को मंगलवार को बर्खास्त कर दिया। साथ ही आदेश दिया कि जो परिचालक टिकट मशीन इस्तेमाल नहीं कर रहे, उनकी सूची बनाकर मुख्यालय को भेजी जाए.