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उत्तराखंड : सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को राहत, मुफ्त मिलेगी ड्रेस

Reporter Khabar Uttarakhand
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Breakinh uttarakhand news

Breakinh uttarakhand newsदेहरादून : उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों और उनके अभिभावकों के लिए खुशखबरी है. जी हां सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को अब स्कूल ड्रेस मुफ्त में मिलेगी. इसका फैसला सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लिया है. एक बैठक में सीएम समेत शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे सहित कई शिक्षा अधिकारी मौजूद रहे. जिसमें सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को फ्री में स्कूल ड्रेस देने का फैसला लिया गया है. मंगलवार को सीएम की अध्यक्षता में शिक्षा विभाग की बैठक में ये फैसला लिया गया है जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावकों को सहूलियत देगा,

आपको बता दें कि प्रदेश के 14416 सरकारी स्कूलों के सामान्य वर्ग के एक लाख 35 हजार बच्चों को अब अनुसूचित जाति, जनजाति और ओबीसी ती तरह मुफ्त में स्लूक ड्रेस देने का फैसला लिया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को साल में दो ड्रेस और शहरी क्षेत्रों के बच्चों को दो ड्रेस की धनराशि दी जाएगा.

सीएम ने सोशल मीडिया के जरिए दी जानकारी

सीएम ने सोशल मीडिया पर लिखा कि देश में आठवीं कक्षा तक के सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए भी निःशुल्क स्कूल ड्रेस उपलब्ध कराई जायेगी। अभी तक आरक्षित वर्गों के छात्र-छात्राओं व सामान्य वर्ग की छात्राओं के लिए यह व्यवस्था थी। DBT के माध्यम से छात्र-छात्राओं को किताबों के लिए उपलब्ध करायी जाने वाली धनराशि के सदुपयोग की सतत निगरानी के निर्देश भी अधिकारियों को दिए।

नहीं खुले खाते, न मिली ड्रेस और किताबें

लेकिन बता दें कि इससे पहले मध्य शिक्षा सत्र के बावजूद उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में अब तक लगभग दो लाख बच्चों को किताबें व ड्रेस नहीं मिल पाई हैं। ऐसे में बिना किताब के ही बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इसका खुलासा विभागीय जांच में सामने आया है। शिक्षा विभाग के बेसिक एवं जूनियर हाईस्कूलों के बच्चों को समग्र शिक्षा अभियान के तहत मुफ्त स्कूल ड्रेस और किताबें दी जाती हैं। इसके लिए प्रदेश में कक्षा एक से पांचवीं तक के 3.99 लाख एवं छह से आठवीं तक के 2.82 लाख बच्चों के डीबीटी योजना के तहत बैंक खाते खुलवाए जाने थे। योजना के तहत बच्चों के खाते में ड्रेस व किताबों का पैसा सीधे भेजा जाना था। विभागीय जांच में यह बात सामने आयी है कि कुछ जनपदों में बच्चों के खाते नहीं खुले, जहां खाते खुले वहां कुछ बच्चों के खाता नंबर ठीक नहीं थे, खातों से लेनदेन न होने और उनमें न्यूनतम बैलेंस न होने से बैंकों ने धनराशि काट ली।

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