पहाड़ से पलायन को रोकने के लिए सरकार लाख दावे करती है लेकिन जिन कारणों से पलायन हो रहा है उस पर ध्यान देना सरकार जरुरी नहीं समझती. सिर्फ दावों के कारण ही पहाड़ के गांव खाली हो रहे हैं क्योंकि अगर जमीनी तौर पर काम होता तो आज मकान-खेत बंजर नहीं होते. पहाड़ में सभी समस्याओं में से प्रमुख समस्या है चिकित्सा सुविधा।
जी हां इसी की कमी के कारण आज पहाड़ के लोगों को समस्याएं हो रही है और खास तौर पर महिलाओं को. जी हां अल्मोड़ा के गंगोलीहाट से ऐसी ही एक महिला की पीड़ा सामने आई है जो कि विधायक मीना गंगोला की देवरानी दीपा गंगोला हैं.
स्वास्थ्य व्यवस्था का हवाला देकर हायर सेंटर किया रेफर
आपको बता दें कि बीते दिन प्रसव पीडा होने पर दीपा गंगोला को बेरीनाग अस्पताल में भर्ती किया गया। चार घंटे तक अस्पताल में इलाज के बाद डॉक्टरों ने उचित स्वास्थ्य व्यवस्था न होने का हवाला देकर हायर सेंटर ले जाने को कहा जिसके बाद परिजन महिला को आपात सेवा 108 से अल्मोड़ा को ले आए। अल्मोड़ा लाते समय कांचुलापुल के पास महिला को प्रसव पीड़ा बढ़ गई। 108 को रोक कर महिला का प्रसव कराया गया। तब महिला ने स्वस्थ्य नवजात बच्ची को जन्म दिया। फिर 108 जच्चा और बच्चा को लेकर रात करीब नौ बजे अल्मोड़ा अंजलि अस्पताल पहुंची।
नवजात ने तोड़ा दम
अस्पताल पहुंचने से पहले की नवजात ने दम तोड़ दिया। डॉक्टरों ने नवजात शिशु को मृत घोषित करने पर परिजनों में कोहराम मच गया। जिसके बाद परिजनों ने महिला को अंजलि अस्पताल भर्ती में कराया है। महिला का अस्पताल में इलाज चल रहा है। फिलहाल महिला के स्वास्थ्य में सुधार है।
लेकिन सवाल पहाड़ की चिकित्सा सुविधा के ऊपर खड़ा हो रहा है कि क्या मात्र दावों से पहाड़ की स्थिति-परिस्थिति बदली जा सकती है.