चंपावत : यूँ तो कोरोना काल मे खाकी के कई रूप देखने को मिले हैं, लेकिन टनकपुर में उत्तराखंड पुलिस का ऐसा भी एक जवान है जो कोरोना काल से भी बहुत पहले से रोज 33 कोटि देवी देवताओं की सेवा करता आ रहा है। सनातन धर्म मे गौ माता को 33 कोटि देवी देवताओं की धरणी के रूप में माना जाता है औऱ इसी गौ माता की सेवा में इस जवान ने अपने जीवन को समर्पित कर दिया है। पुलिस ड्यूटी के साथ ही गौवंशीय जानवरो की सेवा ही इस जवान का धर्म बनकर रह गया है। पुलिस के इस जवान को रविन्द्र सिंह उर्फ पहलवान के नाम से जाना जाता है।जिसके गौ वंशीय सेवा कार्यो की नगर के चारो ओर सराहना की जा रही है।
टनकपुर कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी रविन्द्र सिंह
जी हाँ हम बात कर रहे है टनकपुर कोतवाली में तैनात पुलिसकर्मी रविन्द्र सिंह की जिसे समूचे क्षेत्र में पहलवान के रूप में जाना जाता है। शारदा घाट चौकी में तैनात जल पुलिस के इस जवान में एक अजीब ही जज्बा है, गौ वंशीय पशुओं की सेवा करने का। यहाँ तैनाती के बाद से ही उसमे जीव जंतुओं के प्रति अगाध प्रेम के भाव देखने को मिले। सबसे पहले शारदा नदी में मछली के शिकार पर उसने अंकुश लगाया और प्रतिदिन मछलियों को अपने खर्च से आटे की गोलियों के रूप में आहार देने का काम किया। साथ ही आवारा घायल कुत्तो के खाने और इलाज की जिम्मेदारी भी संभाली।
रोज दर्जनों चोटिल गाय-बैलों का इलाज और चारे का प्रबंध करता है जवान
वहीं घायल गाय बैलों का अपने पास से ही इलाज करवाना शुरू किया। जानवरों के प्रति इस जवान का ऐसा पशु प्रेम जागा कि शारदा घाट से शुरू हुई ये मुहिम आज पुराने तहसील भवन तक आ पहुँची है, जहाँ रोज ही दर्जनों चोटिल गाय बैलों का इलाज व चारे का प्रबंध मानों पहलवान की दिनचर्या में शुमार हो गया हो। अब तक पुलिस के इस जवान के द्वारा सैकड़ों चोटिल गौ वंशीय जानवरों का उपचार कराया जा चुका है। टनकपुर से लेकर बनबसा तक कही भी किसी गाय बैल का वाहन आदि से एक्सीडेंट हो जाये तो आमजन सबसे पहले गौरक्षक पहलवान को ही फोन करते हैं औऱ यह शख्श भी चोटिल पशुओं को दुर्घटना स्थल से लाकर उनकी तीमारदारी में लग जाता है। वर्तमान में भी पुरानी तहसील भवन में न जाने कितने चोटिल गौ वंशीय पशुओं का उपचार जारी हैं।
इस मामले में रविन्द्र सिंह उर्फ पहलवान ने पूछने पर बताया कि उन्हें गौ माता की सेवा में आत्मिक सुख की अनुभूति होती है। अब तक सैकड़ो गौवंशीय की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ हैं और ये मेरे कृषक माता पिता के दिये हुए संस्कार हैॆ लेकिन जन मानस का पर्याप्त सहयोग न मिलने की एक पीड़ा जरूर होती है लेकिन गौ माता की सेवा सुख के आगे वो बौनी प्रतीत होती है।बताते चलेॆ कि पहलवान द्वारा किये गए सभी सेवा कार्य अपने संसाधनों से किये जा रहे हैॆ। गौ रक्षा के नाम पर देश और प्रदेश में हुकूमत करने वाली सरकार से भी पहलवान की इस मुहिम को धेले भर की भी मदद नही मिल पाई है। अलबता पहलवान की यह मुहिम उन लोगों पर तमाचा है जो गौशाला औऱ गौ सेवा के नाम पर सरकारी धन का बंदरबांट कर रहे है। पहलवान की इस मुहिम को खबर उत्तराखंड हमारे साथ का नमन है।