टिहरी गढ़वाल(घनसाली) हर्षमणि उनियाल : गंगा नदी का न सिर्फ़ सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व है बल्कि देश की 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है। 2014 में न्यूयॉर्क में मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर हम इसे साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी। गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा भी है। लेकिन उत्तराखंड के टिहरी(घनसाली) में अधिशासी अधिकारी औऱ कर्मचारी पीएम मोदी के सपनों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं.
पीएम मोदी के सपनों पर पानी फेरते अधिकारी-कर्मचारी
जी हां पीएम मोदी ने गंगा नदी के प्रदूषण को खत्म करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ गंगा संरक्षण मिशन का शुभारंभ किया। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए पर 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20,000 करोड़ रुपए खर्च करने की केंद्र की प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी लेकिन इसमें पीएम मोदी से लेकर सरकार का कितना साथ राज्य के अधिकारी कर्मचारी दे रहे हैं उसका अंदाजा तस्वीर देखकर लगा सकते हैं.
सरकार के कार्यकर्मों की हवा निकाल रहे अधिकारी-कर्मचारी
जी हां नगर पंचायत घनसाली(टिहरी) के अधिशासी अधिकारी-कर्मचारी जमकर इन सब कार्यकर्मों की हवा निकाल रहे हैं. नगर पंचायत घनसाली क्षेत्र का समस्त कूड़ा गंगा की सहायक नदी भिलंगना नदी में खुले आम डाला जा रहा है. यह सिलसिला बहुत लम्बे अरसे से चला आ रहा है. ऐसे में गंगा भी प्रभावित हो रही है.
प्रशासन से लेकर कोई भी जनप्रतिनिधि इसका संज्ञान लेने को तैयार नहीं
सोचनीय बात यह है की प्रशासंन से लेकर जनप्रतिनिधि कोई भी इसका संज्ञान लेने को तैयार नहीं है. तस्वीरे और मौके पर कूड़ा नदी में डालने वाले वहान से यह बात साफ़ है की कौन कितनी जिम्मेदारी से अपनी भूमिका निभा रहा है. मीडिया कई बार इस बात को उठा चूका है बावजूद इसके कोई संज्ञान नहीं ले रहा है .
कई टन कूड़ा सीधे-सीधे गंगा नदी की सहायक नदी में डाला जा रहा
रोजाना नगर पंचायत घनसाली का कई टन कूड़ा सीधे-सीधे गंगा नदी की सहायक नदी में डाला जा रहा है. कोई भी ऐसे अधिकारीयों और कर्मचारियों पर नकेल कसने को तैयार नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि राज्य की त्रिवेंद्र सरकार के अधिकारी-कर्मचारी है पीएम मोदी के स्वच्छ भारत अभियान और नमामि गंगे जैसे बड़े स्तर के अभियान को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं जिसकी सुध सरकार के किसी नुमाइंदे को नहीं है. या हो सकता है सब आंखों के सामने हो रहा है लेकिन कोई कुछ बोलने की जहमत नहीं उठा रहा.
आखिर कैसे होगा नमामि गंगे का सपना पूरा जब उसकी मुख्या सहायक नदिया ही सुरक्षित नहीं है .