देहरादून : विधानसभा सत्र के आखिरी दिन सदन में गौ संरक्षण को लेकर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष के विधायकों ने ही पशुपालन मंत्री रेखा आर्य को घेरा. जिसका जवाब रेखा आर्य औऱ सरकार नहीं दे पाई जिससे कहा जा सकता है कि उत्तराखंड सरकार ने राष्ट्रमाता गाय को तो घोषित कर दिया लेकिन गाय के संरक्षण के लिए क्या किया औऱ क्या करेगी इसका जवाब सरकरा औऱ सरकार के मंत्री दोनों के पास नहीं है.
सदन में सत्ता पक्ष के विधायकों के सवालों से गौ माता के संरक्षण में राज्य सरकार की पोल खुलती दिखी औऱ उत्तराखंड में राष्ट्रमाता घोषित होने के बाद भी गौ माता उपेक्षित हुी.
जिम्मेदारी थोपी शहरी औऱ पंचायती राज विभाग पर
मंत्री रेखा आर्य ने कहा कि पशुपालन के साथ गौ संरक्षण की ज़िम्मेदारी भी शहरी और पंचायती राज विभाग के पास है लेकिन वो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं. साथ ही कहा कि पंचायती राज विभाग 2017 से पहले 66 कांजी हाउस बंद कर चुका है. पशुपालन मंत्री ने कहा कि शहरी विकास विभाग पिछले साल दिए गए बजट(2 करोड़) का एक भी रुपए गौ सरंक्षण में ख़र्च नहीं कर पाया.
सरकार ने नहीं उत्तराखंड पुलिस ने सोचा
वहीं अगर बात करें उत्तराखंड पुलिस की तो पुलिस ने बेबोल जानवरों औऱ गौ माता की रक्षा के लिए पहल की. कई जिलों की पुलिस जानवरों औऱ गौ माता के संरक्षण औऱ रक्षा के लिए उनकी गर्दन में रिफलेक्टर लगाने का काम कर रहे हैं ताकि किसी बेबोल जानवार और गाय माता की जान न जाए.
हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां, मुख्य सचिव के आदेश हवा-हवाई
उत्तराखंड में हाईकोर्ट के आदेशों का भी सरकार पालन नही करा पा रही है. साथ ही मुख्यसचिव के आदेश भी गौ रक्षा के लिए हवा हवाई साबित हुई. जानकारी के लिए बता दें हाईकार्ट और मुख्यचिव ने 10 के अंदर एक काजी हाउस खोलने के दिये निर्देश हैं. बड़ा सवाल ये है कि क्या केवल गौ माता को राष्ट्रमाता घोषित करने से गाय का सरंक्षण होगा??? सरकार ने इसके लिए क्या किया औऱ क्या करेगी इसकी जानकारी नहीं दी गई.