मुनस्यारीः मुनस्यारी के समकोट गांव की एक महिला अपने दो बच्चों के साथ माइनस 6 डिग्री तापमान में भूखे-प्यासे गुफा में फंसी रही। महिला ने पूरी रात अपने बेटे के साथ गुफा में ही बिताई। बुधवार को चार किमी ढाई फीट से अधिक मोटी बर्फ में चलने के बाद बच्चों की स्थिति खराब हो गई। इस पर मां ने मदद के लिए शोर मचाना शुरू कर दिया। उसकी आवाज सुन इको पार्क में रहने वाला बृजेश सिंह धर्मशक्तू देवदूत बन कर आये।
मंगलवार सुबह तहसील मुनस्यारी के समकोट गांव निवासी कमला देवी पत्नी कुंदन राम अपने दो पुत्रों 15 याल के उमेश राम और 12 साल के चंचल राम के साथ किसी काम से मुनस्यारी आ रही थीं। समकोट से 14 किमी दूर गिनी बैंड तक आए। बर्फबारी समकोट से ही हो रही थी। गिनी बैंड से जब तीनों कुछ मीटर आगे पहुंचे तो रातापानी से मार्ग बर्फ से पटा था। भारी बर्फबारी भी हो रही थी। मार्ग पूरी तरह से बंद था। तीनों बर्फबारी के बीच तीस किमी दूर मुनस्यारी के लिए पैदल चल दिए। रातापानी से आगे दो फीट से अधिक बर्फ पड़ चुकी थी। मां और बेटे शाम छह बजे 2748 मीटर की ऊंचाई पर बिटलीधार पहुंचे। बच्चों की हालत देखते हुए मां ने वहीं एक गुफा में ही रुकने का निर्णय लिया। तीनों मां-बेटों ने बिन खाए-पीये बर्फ में ही रात गुजारी।
बच्चों की हालत देखते हुए मां मदद के लिए चिल्लाने लगी। गुफा से कुछ मीटर आगे चलने के बाद ईको पार्क में रहने वाले बृजेश सिंह धर्मशक्तू आवाज सुन उन्हें कैंप में लाए। तीनों को प्राथमिक उपचार देकर भोजन कराया। हालत सुधरने पर उनके रिश्तेदार मोहन के घर पहुंचाया। कमला देवी ने बताया कि यदि बृजेश नहीं मिलते तो उनका बचना संभव नहीं था। दूसरी तरफ आपदा प्रबंधन और पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी। इस बात का पता लगने पर एसडीएम बीएन फोनिया ने फोन से मां और बेटों के बारे में जानकारी ली।