नैनीताल : सिक्स कुमाऊं रेजीमेंट के जवान सुबेदार यमुना पनेरू की शहादत एक ऐसे मिशन के दौरान हुई, जब वो अपने साथियों को बचाने के लिए बर्फीली चोटियों पर एक खतरनाक मिशन को अंजाम दे रहे थे। उन्होंने अपने साथियों को तो बचा लिया, लेकिन खुद शहीद हो गए। जवान के शहीद होने पर की खबर आई थी। उस वक्त स्थिति साफ नहीं थी कि शहादत कैसे हुई। जैसे-जैसे सही जानकारी सामने आई। उसके बाद स्थिति भी साफ हो गई कि यमुना पनेरू ने अपने साथियों की जान बचाने के लिए अपनी कुर्बानी दी है। अपनी शहादत दी है।
भारतीय सेना के जाबांज सुबेदार पनेरू को एक कठिन चुनौती मिली थी। जिससे निपटने के लिए वो रात के अंधेरे में भी अपनी पूरी टीम के साथियों को बचाने में जुटै थे। बताया जा रहा है कि रात को कुपवाड़ा में यहां बर्फ से ढकी चोटियों पर अपनी टीम को रेस्क्यू करते वक्त उनका पैर फिसला और वो खाई में गिरकर शहीद हो गए। शहीद के छोटे भाई भुवन पनेरू ने बताया कि उनके बड़े भाई यमुना प्रसाद पनेरू 2001 में छह कुमाऊं में भर्ती हुए थे।
एवरेस्ट फतह करने की जानकारी भी दी। साथ ही उन्होंने नंदादेवी शिखर और छोटे कैलाश को भी छुआ था। माउंटेनिंग सिखाने के लिए वे कुछ समय दार्जिलिंग में भी रहे। सूबेदार यमुना पनेरू ने 20 साल तक सेना में अदम्य साहस के साथ सेवा देते हुए 37 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उनके परिवार में सात साल का बेटा यश, पांच साल की बेटी साक्षी, पत्नी और मां, दौ भाई और परिवार के अन्य लोग भी हैं। जिनको वो अब हमेशा के लिए छोड़कर चले गए हैं।