हरिद्वार : किसमत कभी भी पल सकती है..पैसों का धनी कंगाल भी हो सकता है औऱ कंगाल मामला भी हो सकता है…कहावत है कि किसमत कभी भी पलट सकती है ये सच हुआ है कुमाऊं यूनिवर्सिटी की वाइस प्रेसीडेंट रही हंसा के साथ जो आजकल भीख मांगने और दर दर भटकने को मजबूर है। हंसा कई बार मदद के लिए सीएम को चिट्ठी लिखी लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आपको बता दें कि अपने कॉलेज के टाइम में राजनेता रहीं और इंग्लिश जैसे विषयों में डबल एमए कर चुकी हंसा की हालत खराब है जो की बच्चे के साथ भीख मांगने को मजबूर है। पूरे कैंपस में हंसी के चर्चे होते कि वो छात्र-छात्राओं के लिए कुछ करेगी।
हंसी फर्राटेदार इंग्लिश बोलती थी और कॉलेज की पहचान हुआ करती थी
लेकिन समय का पहिया ऐसा घूमा की हंसी की जिंदगी पलट गई। वो आज बच्चे के साथ भीख मांगने को मजबूर है। जो कभी फर्राटेदार इंग्लिश बोलती थी और कॉलेज की पहचान हुआ करती थी जिसके नाम के चर्चे शहर में होते थे वो आज सड़कों पर भीख मांग रही है। आपको बता दें कि हंसी इन दिनों अपने बेटे के साथ हरिद्वार की सड़कों, रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और गंगा के घाटों पर उसे भीख मांगते हुए देखने पर शायद ही कोई यकीन करे कि उसका अतीत कितना सुनहरा रहा होगा।
मेहनत के बल पर हंसी गांव के स्कूल से लेकर कुमाऊं विश्वविद्यालय में पहुंची
आपको बता दें कि हंसी अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर क्षेत्र के हवालबाग ब्लॉक के अंतर्गत गोविंन्दपुर के पास रणखिला गांव की है। उनका पालन पोषण और पढ़ाई लिखाई यहीं से हुई है। हंसी पांच भाई-बहनों में से सबसे बड़ी बेटी है। हंसी के पिता पिता छोटा-मोटा काम करते थे। उन्होंने पाई पाई जोड़कर बच्चों को पढ़ाया। मेहनत के बल पर हंसी गांव के स्कूल से लेकर कुमाऊं विश्वविद्यालय में पहुंची औऱ पढ़ाई की। वाइस प्रेसीडेंट बनीं और इंग्लिश से डबल एमए की लेकिन वो पढ़ाई कोई काम न आई।
1998-99 में कुमाऊं विश्वविद्यालय में वाइस प्रेसीडेंट रही
आपको बता दें कि हंसी साल 1998-99 में कुमाऊं विश्वविद्यालय में चर्चा का विषय थी। शहर भर में उसके चर्चे थे। क़ॉलेज में हर कोई उसे जानता था लेकिन आज उसकी पहचान खो चुकी है। वो भीख मांग रही है। बता दें कि हंसी 1998-99 में कुमाऊं विश्वविद्यालय में छात्र यूनियन की वाइस प्रेसिडेंट बनी। हंसी ने 4 साल विश्वविद्यालय में नौकरी की। इस पर हंसी का कहना है कि उसे कॉलेज में नौकरी इसलिए मिली क्योंकि वह विश्वविद्यालय में होने वाली तमाम एजुकेशन से संबंधित प्रतियोगिताओं में भाग लेती थी। डिबेट से लेकर कल्चर प्रोग्राम और कई प्रोग्रामों में हिस्सा लेती थी और वो सभी में फर्स्ट आती थी। हंसी ने कहा कि 2008 तक कई प्राइवेट जॉब भी की। लेकिन 2011 में जिंदगी पलट गई। हंसी ने बताया कि उसकी इस हालत का कारण शादी के बाद हुई आपसी विवाद का नतीजा है। वो तनाव में रही।
हंसी ने बताया कि वो अपने त्र साल के बेटे के साथ परिवार से दूर हरिद्वार में रहती है और भीख मांगकर अपना औऱ अपने बेटे का पालन पोषण करती है। कहा कि उसकी शारीरिक स्थिति भी ठीक नहीं है और वो नौकरी करने में सक्षम नहीं है। हंसी का कहना है कि उनका इलाज किया जाएगा तो शायद उनकी जिंदगी फिर से पटरी पर आ सकती है। हंसी ने बताया कि वो 2012 से हरिद्वार में भीख मांग रही है। उसका 6 साल का बेटा है और बेटी भी है जो नानी के साथ रहती है। बेटा उसके साथ फुटपाथ पर रहता है।
कई बार लिख चुकी है सीएम को पत्र
आपको बता दें कि हंसी आज भी बेटे को फुटपाथ पर ही बैठकर अंग्रेजी, हिंदी, संस्कृत और तमाम भाषाएं सिखाती हैं। उसका सपना है कि उसके बच्चे लिखकर बड़ा बने। हंसी का कहना है कि खुद कई बार मुख्यमंत्री को पत्र लिख चुकी हैं कि उनकी सहायता की जाए। कई बार सचिवालय विधानसभा में भी चक्कर काट चुकी हैं। इस बात के दस्तावेज भी हंसी के पास मौजूद हैं। वह कहती हैं कि अगर सरकार उनकी सहायता करती है तो आज भी वह बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकती हैं।