कोटद्वार : एक ओर जहां उत्तराखंड में गांव के गांव खाली हो रहे हैं…लोग अपनी वेश-भूषा को भूलते जा रहे हैं औऱ शहरी हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर एक वर्दी धारी ने उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ावा देते हुए एक अच्छी पहल की शुरुआत की है.
उत्तराखंड की संस्कृति को हमेशा जिंदा रखने के लिए कोतवाल की अच्छी पहल
जी हां कोटद्वार कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक मनोज रतूड़ी ने उत्तराखंड की संस्कृति को हमेशा जिंदा रखने के लिए एक पहल की शुरुआत की है वो भी अपनी कोतवाली से. दरअसल कोटद्वार कोतवाल ने भोजनालय का निरीक्षण किया और आज से कोटद्वार कोतवाली में मैस में खाने के मेन्यू में पहाड़ी उत्पादों और व्यंजनों को भी जोड़ा है. कोतवाल की इस पहल से हर कोई खुश है औऱ हर कोई तारीफ कर रहा है. इस पहल से कई और लोग सीख लेंगे.
मैन्यू में किया ये-ये पहाड़ी व्यंजन शामिल
आपको बता दें कोटद्वार कोतवाली में कोतवाल ने पुलिसकर्मियों को खाने में पहाड़ी व्यंजन गहथ, तौर, रेंस की दालें, चैसा, कापली, काले भट्ट की चुड़काड़ी, आलू-मूली की थिचवाडी, तिल की चटनी, लैंगुडे की सब्जी, झंगोरे का भात/खीर, कोदे का आटे की रोटी शामिल किया है. कोतवाल मनोज रतूड़ी के अनुसार पहाड़ी व्यंजनों में अत्यधिक पोष्टिकता होने के साथ ही कई बीमारिया भी दूर होती है इसलिए हर किसी को पहाड़ी व्यंजनों का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।