अल्मोड़ा : जल्द घर आने का वादा करके ड्यूटी पर लौटे बेटे को मां इस हाल में देखेगी कभी किसी ने सोचा भी नहीं था. कुछ ही दिन पहले सूरज छुट्टी से ड्यूटी पर लौटे थे. फेसबुक पर उन्होंने दोस्तों के साथ फोटो भी अपलोड की थी. काफी खुश लग रहा था सूरज..और हो भी क्यों ना देश की रक्षा कर छुट्टी घर लौटने का मजा ही कुछ और है. लेकिन मां को क्या पता था कि बेटे का शरीर तक वो नहीं देख पाएगी.
धमाके में सूरज के शरीर के चीथड़े उड़ गए थे
जी हां शहीद बेचे का चेहरा भी मां अंतिम समय में नहीं देख सकी। दरअसल धमाके में सूरज के शरीर के चीथड़े उड़ गए थे और शरीर के कुछ अवशेष ही मिल सके थे, जिन्हें सेना के जवान बॉक्स में लेकर आए थे। लेकिन मां और बहनें बॉक्स खोलने और सूरज का चेहरा दिखाने की जिद कर रहीं थीं। लोगों ने और सेना के जवानों ने उनहें समझाया. शहीद की मां सीता देवी कहने लगीं कि म्यर सूरजा तू कां ल्हे गे छै (मेरे सूरज तू कहां चला गया)। किसी को उसकी मौत पर भरोसा नहीं हो रहा है क्योंकि अभी कुछ ही दिन पहले (25 नवंबर) सूरज हंसते खेलते गांव से ड्यूटी पर गया था.
छोटी बहन की शादी में आने की बात कहकर गया था सूरज
बेहोशी की हालत में शहीद की मां सिर्फ यही कह रही थी कि सूरज सोया है, अभी उठ जाएगा… तो वहां मौजूद लोग आंसू नहीं रोक सके। मां के साथ सूरज की दोनों विवाहित बहनें भी बॉक्स से लिपट गईं। सूरज कुछ माह बाद अपनी छोटी बहन राधा की शादी में आने की बात कहकर गया था। वो भी बार-बार इसी बात को याद करके रो रही थी, जबकि छोटा भाई चंदन एक कमरे में अकेला बैठकर गुमसुम बैठा था। है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पलांवाला सेक्टर में शनिवार को एक विस्फोट के दौरान शहीद हुए आठ कुमाऊं के सूरज सिंह भाकुनी के पार्थिव शरीर का सोमवार को रामेश्वर घाट में सैन्य और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। जैसे ही शहीद की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव लाई गई, वहां कोहराम मच गया। सूरज के अंतिम दर्शन को पूरा गांव उमड़ आया। हर किसी की आंखों में आंसू थे। अंतिम विदाई के दौरान मार्ग में लोग ‘जब तक सूरज चांद रहेगा, सूरज तेरा नाम रहेगा’ के नारे लगा रहे थे। गांव से करीब 50 किमी दूर रामेश्वर के श्मशान घाट में राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ सूरज का अंतिम संस्कार किया गया। शहीद की चिता को चाचा महा सिंह ने मुखाग्नि दी।