पौड़ी गढ़वाल : उत्तराखंड में अगर डीएम की बात की जाए तो जिन्होंने जिले में विकास, लोगों से दोस्ती की, बात की, भ्रष्ट अधिकारियों पर कड़ा एक्शन मौके पर लिया, एक परिवार की सदस्य की तरह जनता की समस्याओं को सुना और तुरंत एक्शन लिया…इनके लिए अक्सर चर्चाओं में रहे दीपक रावत, स्वाति भदौरिया, मंगेश घिल्डियाल…लेकिन उत्तराखंड में एक जिले के एक डीएम ऐसे भी हैं जो हमेशा लाइम लाइट से दूर रहे लेकिन हमेशा जिले के विकास के साथ-साथ पलायन को रोकने के लिए अहम पहल की. इतना ही नहीं अब डीएम ने एक खास मुहिम की शुरुआत युवाओं के साथ की है। जी हां हम बात कर रहे हैं पौड़ी जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल की। जिन्होंने एक खास मुहिम की शुरुआत की है। डीएम ने जिले युवाओं के लिए जल क्रीड़ा में भविष्य संवारने और पर्यटकों को पहाड़ की ओर आकर्षित करने की कवायद तेज कर दी है। पौड़ी डीएम ने नयारघाटी को एक नई पहचान दिलाने की ठानी है। डीएम ने नयार घानी में एडवेंचर टूरिस्म को बढ़ावा देने के लिए आज 2 सप्ताह के भीतर दूसरी बार नयार नदी में खैरासैंण से बडखोलू तक कयाकिंग एंड केनोइंग का परीक्षण किया गया।
जिले में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा
इस पर जिला पर्यटन और साहसिक अधिकारी केएस नेगी ने कहा कि जिले में एडवेंचर टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए नयारघाटी क्षेत्र की नयार नदियों में कयाकिंग एंड केनोइंग के लिए उपयुक्त स्थान देखकर परिक्षण किये जा रहे हैं। जिसे जल्द ही धरातल पर उतारा जायेगा, इससे क्षेत्र को एडवेंचर पर्यटन की दिशा में एक नई पहचान मिलेगी।
गढ़वाली पाठ्यक्रम को कक्षा 1 से 5वीं तक के सरकारी स्कूलों में लागू किया
बता दें कि पहाड़ी क्षेत्रों से होता पलायन और इससे पैदा होते हालात के बाद लोकभाषा भी लोक से दूर न हो, इसके लिए पौड़ी के डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने एक अनूठी मिशाल पेश की है और वह है गढ़वाली पाठ्यक्रम। जिसे पौड़ी जिले में कक्षा एक से पांचवीं तक के सरकारी स्कूलों में लागू किया गया है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद यह पहला मौका होगा जब लोक भाषा को संरक्षित करने की दिशा में यह पाठ्यक्रम स्कूलों में लागू किया गया। अब स्कूलों में बच्चे अन्य विषयों के अलावा गढ़वाली भाषा भी सीख रहे हैं।
युवाओं को कयाकिंग एंड केनोइंग से जोडकर रोजगार देने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण दिया जायेगा। जिसमें युवाओं को 7 दिन का फॉउंडेशन कोर्स,14 दिन का बेसिक कोर्स व 21 दिन का एडवांस कोर्स कराया जाएगा। नयारघाटी क्षेत्र में देवप्रयाग से ब्यासघाट, बिलखेत, बांघाट, बडखोलू, सतपुली, खैरासैण में नयार नदी पर कयाकिंग एंड केनोइंग की संभावनाओं को तलाशने के लिए यह ट्रायल किए जा रहे हैं