देहरादून- इसे एसडीएम की गुंडई न कहें तो और क्या कहें. बड़े-बड़े पदों पर अधिकारियों को इसलिए बैठाया जाता है क्योंकि उनकी शिक्षा ओरों से बेहतर और हर चीज को समझने औऱ सोचने की ताकत उनमें होती है. लेकिन आज आप एक ऐसे एसडीएम को देखेंगे और सुनेंगे जो शराब की दुकान खुलाने के लिए ऐसे डटे है कि क्या महिला, क्या गांव वालों की मांग और क्या एसडीएम का पद…सब भूल बैठे..और सामने खड़े आदमी को चुप करा कर धमकी देने पर उतारु हो गए. गांड़ी पर लगे नेमप्लेट से साफ देख सकते हैं कि ये वीडियो उत्तराखंड के पौड़ी जिले का ही है. इसमे जरुर एसडीएम को सरकार के द्वारा ही पीछे से चूंटी की गई है.
क्या एसडीएम को सरकार द्वारा दी जा रही चूंटी
जी हां…ये वीडियो हमें सोशल मीडिया से मिला है और हम इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करते लेकिन वहां खड़ी गाड़ी की नेमप्लेट से साफ जाहिर है कि उत्तराखंड के पौड़ी जिले की है. जिस तरीके से वीडियो में एसडीएम जिनका नाम कमलेश मेहता है, दुर्व्यवहार करते नजर आ रहे हैं और धमकी देने पर उतारु हैं इससे साफ पता चलता है कि जरुर सरकार द्वारा उनको चूंटी दी जा रही है तभी वह बत्तमीजी पर उतारु हैं.
कमलेश मेहता यमकेश्वर के साथ-साथ लैंसडौन के भी एसडीएम हैं
ये वीडियो उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेस्वर का बताया जा रहा है और जो SDM धमकी देते दिखाई दे रहे हैं वो समकेश्वर के जोगियाणा का बताया जा रहा है. आपको बता दें कमलेश मेहता यमकेश्वर के साथ-साथ लैंसडौन के भी एसडीएम हैं। ए
जबरन शराब का ठेका खोलने की धमकी
सोशल मीडिया में एक व्यक्ति ने लिखा है कि वहां जबरन ठेका खोला जा रहा है जिसका विरोध ग्रामीण कर रहे हैं. लेकिन आप देख सकते है किस कदम एसडीएम बत्तमीजी पर उतारु हैं. एसडीएम साफ तौर पर कह रहे हैं कि दुकान खुलेगी और साथ ही धमकी देते हुए भी नजर आ रहे है. जनता के विरोध करने पर जनता को ही झूठे केस में फंसाकर कोर्ट का चक्कर लगाने की धमकी देते नजर आ रहे है.
जबरन विरोध के बावजूद गरीब ग्रामीणों को धमकी देने पर उतारु एसडीएम
यमकेश्वर विधानसभा सीट पर इस वक्त रितु खंडूरी भूषण है. सोशल मीडिया के जरिए पीड़ित ने गुहार लगाई है कि सरकार द्वारा एसडीएम पर सख्त कार्रवाही की जाए. एक पहाड़ी महिला मेहनत करके पहाड़ों की चढ़ाईयों पर चढ़कर मेहनत करती है ताकि हमारा उत्तराखंड संवारा जा सके लेकिन जबरन विरोध के बावजूद गरीब ग्रामीणों को धमकी दी जा रही है.
एसडीएम के सामने खड़े ग्रामीण अधिक पढ़े-लिखे नजर आ रहे
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि क्या सरकार द्वारा ही एसडीएम को चुटकी दी जा रही है शराब का ठेका खुलाने के लिए. वरना एसडीएम इस हद पर उतारु क्यों है. बोल-भाषा से लग रहा है कि एसडीएम के सामने ग्रामीण अधिक पढे लिखे नजर आ रहे है.