गंगोत्री नेशनल पार्क में सितंबर के महीने अज्ञात रोग की चपेट में आकर हिमालयन ब्लू शीप (भरल) की आंखें बाहर निकल आने और ऐसी दो भेड़ों के मृत मिलने के मामले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तराखंड सरकार को फटकार लगाई है।
एनजीटी ने कहा है कि उत्तराखंड सरकार भरल के अंधेपन की रोकथाम में असफल साबित हुई है। इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जे रहीम की पीठ ने भरल के उपचार के लिए उत्तराखंड सरकार व राज्य जैवविविधता बोर्ड को संयुक्त रूप से एक्शन प्लान बनाने को कहा है। साथ ही टालबराई करने पर संबंधित अधिकारियों पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की भी चेतावनी दी है। यह वसूली अधिकारियों के वेतन से की जाएगी।
गुरुवार को हुई सुनवाई में एनजीटी के न्यायाधीश जे रहीम ने कहा कि यह प्रकरण सितंबर में संज्ञान में आया था। गंगोत्री नेशनल पार्क के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बीएसएफ अधिकारियों के दल ने देखा था कि भरल की आंखें बाहर लटक रही हैं और उनसे खून भी टपक रहा है। अंधेपन के कारण खाई में गिरने से दो भरल मृत भी पाई गई थीं। संबंधित अधिकारियों ने इसकी सूचना वन विभाग को भी दे दी थी। इसके बाद भी अब तक राज्य सरकार भरल के अंधेपन की रोकथाम के लिए ठोस उपाय नहीं कर पाई है।
पीठ ने यह भी पाया कि पर्यावरण मंत्रालय ने वर्ष 2017-2031 तक के लिए जो एक्शन प्लान जारी किया है, उसके अनुसार भी संबंधित विभागों के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। हालांकि, राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा गया है कि प्रकरण में उच्च स्तरीय टीम गठित की जा रही है, जो गंगोत्री नेशनल पार्क का गहन निरीक्षण करेगी। इसके बाद भरल के अंधेपन की रोकथाम की दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे।