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देहरादून : उत्तराखंड में स्वास्थ्य व्यवस्थाओं का क्या हाल है, वो इससे पता चलता है कि पहाड़ के अस्पतालों से हमेशा मरीजों को रेफर किया जाता है और शहर के नेता दिल्ली के अस्पतालों का रुख करते हैं। उत्तराखंड के अस्पताल की बानगी एक बार फिर से देखने को मिला ऋषिकेश एम्स में।
जी हां बता दें कि पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी को 10 बजे रात को एम्स ऋषिकेश अस्पताल छोड़ना पड़ा। वो वहां से निराश लौटे। पूर्व कैबिनेट मंत्री ने एम्स के डॉक्टरों पर इलाज के दौरान दुर्व्यवहार का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सिफारिश के बावजूद उन्हें प्राइवेट वार्ड उपलब्ध नहीं कराया गया। पूर्व कैबिनेट मंत्री अस्पताल छोड़कर चले गए। उन्होंने अपना दर्द बयां किया।
आपको बता दें कि एम्स से लौटने के बाद रविवार को इंदिरानगर में पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी ने पीसी कर आरोप लगाया कि ऋषिकेश एम्स स्वास्थ सेवाओं को लेकर लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर रहा है। उन्होंने कहा कि इस मामले में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर शिकायत करेंगे और अपनी पीड़ा बयां करेंगे। साथ ही एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए भी मांग करेंगे। उन्होंने बताया कि शुगर बढ़ने की वजह से वो रविवार सुबह एम्स ऋषिकेश पहुंचे। इस दौरान इमरजेंसी में उन्हें भर्ती किया गया। कई ब्लड सैंपल टेस्ट के लिए गए। डॉक्टरों ने उनको सिटी स्कैन कराने की सलाह दी।
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पूर्व कैबिनेट मंत्री का आरोप है कि सिटी स्कैन होने के बाद रिपोर्ट उनको 3 दिन में देने की बात कही गई। उन्होंने डॉक्टरों से पूछा कि इमरजेंसी में भर्ती मरीज को अगर रिपोर्ट 3 दिन बाद मिलेगी तो समय पर इलाज कैसे होगा। उन्होंने अपने साथ मौजूद पत्नी मुन्नी रावत के स्वास्थ्य का हवाला देते हुए निजी वार्ड उपलब्ध कराने की अपील की। डॉक्टर और पीआरओ एम्स की सिफारिश के बावजूद उन्हें प्रशासन ने प्राइवेट वार्ड उपलब्ध नहीं कराया। उन्हें जनरल वार्ड में भर्ती किया गया। यहां हार्ट की बीमारी से पीड़ित उनकी पत्नी को बैठने तक के लिए स्टूल तक नहीं मिला। मजबूरी में उन्हें रात 10 बजे एम्स से इलाज छोड़कर अपने दोस्त के घर शरण लेनी पड़ी।