नई टिहरी: डोबरा-चांठी पुल उस दिन से ही चर्चाओं में है, जिस दिन उस पुल की फाउंडेशन रखी गई थी। तब से लेकर आज तक पुल को लेकर राजनीति होती ही रही है। यह पुल अब बनकर तैयार हो चुका है। अब पुल निर्माण का श्रेय लेने की होड़ के चलते एक बार फिर पुल चर्चा में है। कुछ दिन पहले ही ग्रामीणों ने वन मंत्री हरक सिंह रावत को पुल पर नहीं जाने दिया था। आज पूर्व सीएम हरीश रावत इसी पुल पर जा रहे थे, जां उनको ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा।
डोबरा-चांठी पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह का रौलाकोट के बांध प्रभावितों ने घेराव किया। प्रभावितों ने कहा कि सीएम रहते हरीश रावत ने डोबरा-चांठी पुल प्रभावितों की मांगों का निराकरण नहीं किया। पुलिस ने किसी तरह वहां से पूर्व सीएम के काफिले को पार करवाया। राज्य स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर आठ नवंबर को टिहरी बांध प्रभावितों को डोबरा-चांठी पुल का शुभारंभ सीएम त्रिवेंद्र रावत करेंगे।
2006 से टिहरी झील के ऊपर डोबरा-चांठी पुल निर्माणाधीन था। 14 साल के इंतजार के बाद पुल अब बनकर तैयार हो पाया है। पुल से वाहनों का आवागमन शुरू करने के लिए स्थानीय लोग शासन-प्रशासन पर लगातार दबाव बनाए हुए थे। 300 करोड़ की लागत से डोबरा-चांठी में झील के ऊपर 725 मीटर लंबे पुल का निर्माण किया गया है। इस पर साढ़े 15 टन क्षमता के वाहन 30-30 मीटर के अंतराल में गुजर सकते हैं। वाहनों की गति सीमा को नियंत्रित करने के लिए इलेक्ट्राॅनिक ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम लगाए गए हैं।
पुल के लोकार्पण को लेकर कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डोबरा-चांठी आकर बहुप्रतीक्षित पुल को जनता को समर्पित करेंगे। प्रदेश सरकार के स्तर पर पीएम के कार्यक्रम के लिए समय भी मांगा गया था, लेकिन पीएमओ से समय नहीं मिल पाया। प्रतापनगर के विधायक विजय सिंह पंवार ने बताया कि आठ नवंबर को दोपहर 12 बजे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत डोबरा पहुंचकर पुल का लोकार्पण करेंगे।