हल्द्वानी : हल्द्वानी को वैसे तो कुमाऊं का मेडिकल हब कहा जाता है, लेकिन यहां 18 माह के मासूम को इलाज नहीं मिल पाया। मासूम बच्चे को गोद में लेकर पिता शहर के चार प्रिवेट अस्पतालों में पहुंचा। बच्चे को बचने की गुहार लगता रहा, लेकिन हर जगह कोई न कोई वजह बताकर बच्चे को भर्ती करने से मना कर दिया गया। उसेक बाद परिजन बच्चे को बरेली के भोजीपुरा के एक अस्पताल में ले गए, जहां उसकी हालात ठीक बताई जा रही है।
नैनीताल ब्लॉक के बजून गांव के पूरन सिजवाली के 18 माह के बेटे ने घर में रखे कीटनाशक को गलती से पी लिया था। उसकी हालात खराब हुई तो परिजन उसे लेकर नैनीताल स्थित बीडी पांडे अस्पताल लेकर गए। बच्चे के रिश्तेदार दीपक बिष्ट ने बताया कि बच्चे को प्राथमिक उपचार देने के बाद डॉक्टरों ने शीघ्र हल्द्वानी जाने की सलाह दी। परिजन हल्द्वानी आए और गुरुनानकपुरा के निजी अस्पताल मासूम को लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने पहले उपचार के लिए हामी भरी फिर मना कर दिया। यहां से परिजन गैस गोदाम चौराहा स्थित अस्पताल आए, जहां बाल रोग विशेषज्ञ नहीं होने की बात कहते हुए इलाज के लिए मना कर दिया गया।
मासूम की हालत बिगड़ती देख रामपुर रोड और मुखानी चौराहे के दो और बड़े प्राइवेट अस्पतालों ने भी इलाज के लिए मना कर दिया। बच्चा पिता की गोद में दर्द से तड़पता रहा, लेकिन किसी भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा। एक परिचित की सलाह पर मासूम को भोजीपुरा स्थित राम मूर्ति अस्पताल लेकर पहुंचे। परिजनों ने बताया कि डॉक्टरों के मुताबिक बच्चे की हालत स्थिर है, खतरा टला नहीं है। परिजनों का कहना है कि उपचार के लिए रुपयों की किल्लत नहीं है ।यह बात बावजूद हल्द्वानी में किसी भी निजी अस्पताल ने बच्चे को भर्ती नहीं किया।