देहरादून: उत्तर प्रदेश के लखनऊ और इलाहाबाद की तर्ज पर उत्तराखंड में भी सड़क किनारे नो पार्किंग में चौपहिया वाहनों को खड़ा करना अब महंगा पड़ेगा। पुलिस अब प्राइवेट क्रेन ऑपरेटर को नो-पार्किंग जोन में खड़ें वाहनों को उठाने के लिए पीपीई मोड़ पर समझौता करने जा रही है। इन वाहनों का उठाकर एमवी एक्ट के तहत बड़ा चालान काटा जाएगा। दून पुलिस द्वारा इसके लिए प्रस्ताव मुख्यालय में भेजा गया था। प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है। मुख्यालय से आदेश आने के बाद देहरादून पुलिस सड़कों पर गलत ढंग से खड़ी गाड़ियों को प्राइवेट क्रेन से उठाकर ले जाएगी और उसके बाद चालन किया जाएगा।
इस व्यवस्था के लिए पुलिस मुख्यालय और ट्रैफिक निदेशालय स्तर से पहले ही शासन को एक जुलाई 2020 को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन तकनीकी वजह से इस पर निर्णय ना आ पाया था। उसके बाद दोबारा से यह प्रस्ताव शासन को भेजा गया। मुख्यालय से हरी झंडी मिलने के बाद पुलिस के साथ-साथ प्राइवेट क्रेन भी भारी संख्या में नो पार्किंग वाहनों को उठाकर ले जाएगी। राजधानी देहरादून सहित राज्य के तमाम शहरों में बढ़ते ट्रैफिक की अव्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में यह कदम उठाया जा रहा है।
देहरादून की बात करें तो यहां सिर्फ 5 पुलिस की टो वाली क्रेन वर्तमान समय में काम कर रही हैं। लेकिन, प्राइवेट क्रेन एजेंसी के आने से अधिक से अधिक संख्या में नो पार्किंग स्थल के वाहनों को उठाकर चालान की कार्रवाई को अंजाम दिया जा सकेगा, जिसके चलते लंबे समय से बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारा जा सकेगा।
दरअसल, अभी तक जहां ट्रैफिक पुलिस क्रेन द्वारा नो पार्किंग स्थल से वाहनों को उठाने का चालान के अलावा 950 प्रति वाहन का चार्ज करती थी. वहीं, प्राइवेट क्रेनों द्वारा सड़क से वाहन उठाने का चार्ज प्रति गाड़ी 1500 ट्रैफिक पुलिस द्वारा वसूला जाएगा। नो पार्किंग स्थलों से गाड़ी उठाने के बाद जब वाहन स्वामी द्वारा चालान दिया जाएगा, उस वक्त वाहन के एमवी एक्ट चालान के अलावा गाड़ी को टो करने के 1400 रुपए अलग से देने होंगे।
डीआईजी अरुण मोहन जोशी ने बताया कि इसमें हमारा प्रस्ताव था कि हम प्राइवेट क्रेन का इस्तेमाल करे,जो भी गाड़ियां गलत तरीके से पार्क हो जाती है। जिसके कारण जाम लगता है। उसके लिए प्राइवेट क्रेन का इस्तेमाल किया जाएगा, ऑपरेटरप्राइवेट ही शुल्क लेने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि हमने डिटेल में प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय को भेजा था। मुख्यालय से इसकी स्वीकृति मिल गई है। आदेश आते ही कार्रवाई शुरू की जाएगी।