सहीं में पूरे उत्तराखंड में कई ऐसे स्कूल हैं जो ऐसी मनमानी करते हैं जिससे हर अभिभावक परेशान है और इसी का गुस्सा अभिभावकों ने स्कूलों के खिलाफ हमारी खबर में व्यक्त किया.
नैनीताल के निजी स्कूल की घटना
अच्छी स्कूली शिक्षा का गढ़ माने जाने वाले उत्तराखंड में निजी स्कूलों की मनमानियां थमने का नाम नहीं ले रही हैं. सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद निजी स्कूल एनसीईआरटी की किताबों के अलावा अभिभावकों से जबरन महंगी किताबें खरीदवा रहे हैं. शिक्षा विभाग के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद एनुअल फ़ीस समेत कई तरह के चार्ज वसूल रहे हैं. आज नैनीताल के एक स्कूल की मनमानी के ख़िलाफ़ अभिभावकों ने स्कूल में हंगामा किया.
हर महीने फ़ीस बढाने के साथ 3 हज़ार रुपये का अतिरिक्त शुल्क लेते हैं
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल ने हर महीने फ़ीस बढाने के साथ 3 हज़ार रुपये का अतिरिक्त शुल्क उन पर थोप दिया है. जबकि राज्य के शिक्षा विभाग ने दो साल पहले ही साफ़ शब्दों में निर्देश जारी कर दिए थे कि कोई स्कूल हर साल वार्षिक शुल्क नहीं वसूल सकता.लेकिन यह स्कूल सिर्फ़ वार्षिक शुल्क ही नहीं वसूल रहा.
बिजली पानी के बिल, कुर्सी में बैठने और टीचर्स डे के नाम पर भी पैसे वसूल रहा स्कूल
अभिभावकों का कहना है कि स्कूल बिजली पानी के बिल, कुर्सी में बैठने और टीचर्स डे के नाम पर भी पैसे वसूल रहा है. और तो और 12 महीने के साल में स्कूल 13 महीने की फ़़ीस मांग रहा है. लेकिन स्कूल की प्रिंसिपल ई इमैनुअल कहती हैं कि वह कुछ भी ग़लत नहीं कर रहीं. उन्हीं चीज़ों के लिए चार्ज किया जा रहा है जो बाकी स्कूल भी वसूलते हैं.
वैसे इस बात की संभावना है कि सनवाल स्कूल की प्रिंसिपल सही कह रही हों, बस दूसरे स्कूलों से अब तक हंगामे की ख़बर नहीं आई है. बार-बार स्कूलों की मनमानियों की शिकायतों के बावजूद अगर स्कूल मनमर्ज़ी कर सकते हैं तो इसलिए क्योंकि शिक्षा विभाग इन शिकायतों पर उचित कार्रवाई नहीं करता जिससे ऐसे स्कूलों का मनोबल भी बढ़ता है.