जोशीमठ : जोशीमठ ब्लॉक के कल्प घाटी के अरोसी गांव के लोग जान जोखिम में डालकर उफनती नदीं को पार करने के लिए मजबूर है. हर दिन गांव के लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं और पुल न होने के कारण रस्सी के सहारे गांव तक पहुंचते हैं. गांव वालों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही आज से नहीं बल्कि कई सालों से गांव वाले अपनी जान खुद जोखिम में डाल रहे हैं,
आपको बता दें क िकल्प गंगा के उफान ने एस घाटी को जोड़ने वाले एकमात्र पैदल पुल बह गया है,जिससे गाँव का संपर्क मुख्यालय से कट गया है. ऐसे में लोग क रस्सी पर झूलकर नदी पार करने को मजबूर हैं.
लोगो की जिंदगी एक रस्सी में लटकी
बता दें की थगला तोक में कल्पगंगा पर बना पुल बह जाने से अब लोगों की आफत बढ़ गई है. 3 गाँव के लोग और स्कूल के बच्चे हर दिन जोखिम मोल ले रहे हैं और नदीं को पार कर रहे हैं. पिछले दिनों हुई बारिश से इस गांव को जोड़ने वाला ग्रामीणों द्वारा बनाया गया कच्चा पुल बह जाने से अब ग्रामीण जान जोखिम में उठाने को मजबूर हैं। लेकिन अभी तक शासन-प्रशासन का इस गांव की ओर ध्यान नही गया. कहने को तो हम चाँद से भी दूर मंगल पर पहुंच गए हैं लेकिन फिलहाल कल्प घाटी के लोगो की जिंदगी एक रस्सी के सहारे टिकी हुई है.
बड़ा सवाल है कि क्या इन गांव के लोगों ने राज्य में हुए चुनावों में कभी भी वोट नहीं दिया. क्या गांव वालों को वोट न देने की सजा मिली? क्य ये अपना प्रधान, प्रतिनिधि, विधायक, मंत्री नहीं चुनते हैं. औऱ अगर ये अपने मत का प्रयोग कर किसी को जिताते हैं तो इस उम्मीद से की उनकी समस्या का निदान होगा…लोगों क्या मालूम था कि उऩ्हें एक दिन अपनी ही जिंदगी के साथ खिलवाड़ करना पड़ेगा जान जोखिम में डालनी पड़ेगी. कहां वो प्रतिनिधि, कहां हैं वो नेता, कहां हैं वो मंत्री-विधायक जो चुनाव के समय चापलूसी करते दिखाई देते हैं.