देहरादून : उत्तराखंड आपदा प्रभावित राज्य है. किसी भी प्रकार की स्थिति से निपटने के लिए सरकार और आपदा प्रबंधन विभाग को पहले से ही तैयारियां पूरा करने और सतर्क रहने की आवश्यकता होती है लेकिन उत्तराखंड में न तो आपदा प्रबंधन विभाग गंभीर है और न ही सरकार।आपदा प्रबंधन विभाग इस राज्य का सबसे महत्वपूर्ण विभाग है लेकिन ये विभाग निश्चिंत बैठा है जिसे सरकार के नियम कानून की भी चिंता नहीं है। विभाग ने कैबिनेट को झूठ बोल घपला किया जिसके खिलाफ अब भाजपा के वरिष्ठ नेता रविन्द्र जुगरान ने मोर्चा खोल दिया है और विभाग को कोर्ट जाने की चेतावनी दी है।
आपदा प्रबंधन विभाग ने कैबिनेट के फैसले को दिखाया ठेंगा,
बता दें कि 2001 में आपदाओं को देखते हए तत्कालीन भाजपा सरकार ने अलग से आपदा प्रबंधन विभाग का गठन किया और आपदा प्रबंधन के लिये आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र डीएमएमसी की स्थापना की। 2017 में अलग से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण यूएसडीएमए का गठन करते हुये इसमें आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के विलय किये जाने के निर्णय को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दी और निर्णय लिया कि आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र का राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण में विलय किये जाने पर आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र के सभी कार्मिकों का राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के पदों पर समायोजन करते हुये विलय किया जाये। लेकिन आपदा प्रबंधन विभाग ने कैबिनेट के इस निर्णय को ठेंगा दिखाते हुS 13 नवम्बर 2019 की कैबिनेट के समक्ष विलय प्रस्ताव में डीएमएमसी के सभी कार्मिकों की बजाय आधे कार्मिकों के ही विलय का प्रस्ताव रखा।
वहीं कैबिनेट से यह छुपाया गया कि इस विलय प्रस्ताव में 62 कार्मिकों की बजाय केवल 31 ही कार्मिकों का विलय किया जा रहा है। कैबिनेट को गुमराह करके चुपचाप कैबिनेट से यह निर्णय करवा लिया गया, जबकि कैबिनेट ने इस शर्त पर विलय को मंजूरी दी थी कि डीएमएमसी के सभी कार्मिकों का विलय किया जाये और कोई भी कार्मिक छूटना नहीं चाहिये।
निर्णय के खिलाफ वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने मोर्चा खोला
कैबिनेट को गुमराह करके आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा कराये गये इस नियमविरूध विलय के निर्णय के खिलाफ वरिष्ठ भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान ने मोर्चा खोल दिया है। जुगरान के मुताबिक कैबिनेट को झूठ बोलकर गुमराह किया गया है और कैबिनेट से यह कर्मचारी विरोधी निर्णय आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों द्वारा करवाया गया है, यह जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है और सरकार को तत्काल दोषी अधिकारियों को दंडित करना चाहिये। इस नियमविरूध निर्णय की शिकायत करते हुये भाजपा नेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूरे साक्ष्यों के साथ शिकायती पत्र भेजा है, इसके साथ ही जुगरान ने मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल, मुख्य सचिव और आपदा प्रबंधन के प्रभारी सचिव को शिकायती पत्र दिया है।
मुख्य सचिव से मुलाकात कर जुगरान ने की शिकायत
बीते दिन मुख्य सचिव से मुलाकात कर जुगरान ने उनको बताया कि प्राधिकरण के पदों पर केवल 31 कार्मिकों का विलय किया गया, जिसमें 4 नियमित कार्मिक, 02 संविदा कार्मिक, 01 सेवानिवृत संविदा कार्मिक और 24 आउटसोर्स कार्मिकों का प्राधिकरण के पदों के सापेक्ष विलय किया गया। जुगरान ने सेवानिवृत संविदा कार्मिक की पुनर्नियुक्ति और विलय को अवैध बताया क्योंकि उस कार्मिक की पुनर्नियुक्ती शासन के कई शासनदेशों का उल्लंघन करके की गयी है।
31 कार्मिकों को क्यों छोडा गया-जुगरान
जुगरान ने मुख्य सचिव को बताया कि 24 आउटसोर्स कार्मिकों का तो सीधे प्राधिकरण के पदों पर विलय कर दिया गया लेकिन 31 संविदा कार्मिकों का प्राधिकरण के पदों पर विलय नहीं किया गया। उन्हें विलय प्रक्रिया में शामिल ही नहीं किया गया। जुगरान ने शिकायत की कि जब समस्त कार्मिकों के विलय का निर्णय कैबिनेट ने लिया था तो 31 कार्मिकों को क्यों छोडा गया। आउटसोर्स कार्मिकों से पहले संविदा कार्मिकों को विलय में प्राथमिकता दी जानी चाहिये थी क्योंकि सभी संविदा कार्मिकों की नियुक्ति अनिवार्य चयन प्रक्रियाओं के द्वारा की गयी है। आउटसोर्स कार्मिक किसी भी चयन प्रक्रिया के द्वारा नियुक्त नहीं किये गये हैं क्योंकि वे आउटसोर्स एजेन्सी के कर्मचारी हैं और उनकी नियुक्ति आउटसोर्स एजेन्सी ने की है ना कि आपदा प्रबंधन विभाग ने। इसलिये प्राधिकरण के पदों पर विलय का पहला हक़ संविदा कर्मचारियों का था जिनकी नियुक्ति स्वयं आपदा प्रबंधन विभाग ने की है।
राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले-जुगरान
जुगरान ने मुख्य सचिव को यह भी बताया कि उच्च न्यायालय ने आउटसोर्स कार्मिकों को विभागीय पदों पर समायोजित करने का निर्णय दिया था जिस निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की हुई है। जब आउटसोर्स के कार्मिकों का पदों के सापेक्ष समायोजित करके विभागीय संविदा देने का प्रकरण अभी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है तो यहा आपदा प्रबंधन विभाग में आउटसोर्स कार्मिकों को प्राधिकरण के पदों के सापेक्ष कैसे समायोजित कर दिया गया, ये कंटेप्ट ऑफ कोर्ट का मामला है। जुगरान ने कहा की जब 24 आउटसोर्स कार्मिकों का पदों के सापेक्ष विलय किया जा सकता है तो राज्य के सभी आउटसोर्स कर्मचारियों का भी इसी प्रकार पदों के सापेक्ष विलय किया जाये। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका वापस ले और सभी आउटसोर्स कार्मिकों का इसिप्रकार विलय करके समायोजन करे। कहा कि 24 आउटसोर्स कार्मिकों पर करम और बाकी के साथ अन्याय यह बिल्कुल भी होने नहीं दिया जायेगा।
जुगरान इस नियम के विरूद्ध विलय के खिलाफ न्यायालय जाने की बात कही। बेहतर होगा कि आपदा प्रबंधन विभाग अपनी भद पिटवाने के बजाय तुरंत अपनी गलती में सुधार करे और कैबिनेट के निर्णय का अनुपालन करते हुये सभी कार्मिकों का प्राधिकरण के पदों पर विलय कर दे।