मोहम्मद यासीन
कोरोना ने दुनिया को बदलकर रख दिया है। कोरोना के कारण दुनियाभर में कई लोगों की नौकरियां चली गई। काम-धंधे बंद हो गए। लाॅकडाउन के बाद अनलाॅक में जब लोगों के सामने वापस अपने रोजगार को खड़ा करने का संकट आया तो लोगों ने कुछ अलग करने का मन बनाया। अपने काम तक बदलने पड़ रहे हैं। सोशल मीडिया में ऐसी कई खबरें भी रोजना पढ़ने और देखने को मिल रही हैं। ऐसा ही एक मामला ऊधमसिंह नगर में सामने आया है। यहां इंजीनियर मछुआरा बन गया, जिसकी चर्चा हर जुबां पर है।
लॉकडाउन के दौरान सिडकुल के एक कारखाने में इंजीनियर के पद पर कार्यरत युवक की लाॅकडाउन के दौरान नौकरी चली गई। उसकी नौकरी भले ही चली गई, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और कृषि विज्ञान केंद्र काशीपुर के वैज्ञानिकों की मदद से मछली पालन कर स्वरोजगार शुरू कर दिया। अब वह वो ग्रामीण बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए भी प्रेरित कर रहा है। किच्छा नारायणपुर निवासी विपुल कुमार सागर ने रुड़की के एक इंजिरिंग कॉलेज से इंजिरिंग की पढ़ाई कर रुद्रपुर सिडकुल की एक ऑटोमोबाइल कंपनी में इंजीनियर की नौकरी हासिल की थी। सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन लाॅकडाउन ने सब तबाह कर दिया।
किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले विपुल ने अपने पिता के साथ खेती का काम भी किया। परिवार के बढ़ते खर्चे के कारण व्यवसायिक खेती करना चाहता था। इस दौरान वह काशीपुर के कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों डॉ. जितेंद्र क्वात्रा और अजय प्रभाकर के संपर्क में आया। उन्होंने उसे कृषि विविधीकरण की विधि से खेती से आय बढ़ाने, एकीकृत मत्स्य पालन, सह मुर्गी पालन, आधुनिक कृषि विधियों से खेती करने का सुझाव दिया। जिसके बाद विपुल ने मत्स्य पालन शुरू कर दिया।
विपुल के मुताबिक इस समय उसके तालाब में 9000 मछलियां हैं, जो अच्छी तरीके से ग्रोथ कर रही हैं। विपुल को उम्मीद है कि यह एक अच्छा कदम है, जिसके बारे में उसने अपने और साथियों को भी स्वरोजगार अपनाने की अपील की है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र क्वात्रा के मुताबिक विपुल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया हुआ है। उनके मुताबिक वो आईटी एक्सपर्ट भी है। डॉक्टर क्वात्रा के मुताबिक लॉकडाउन के बाद से 25 से 30 युवा अब तक ऐसे आ चुके हैं, जो प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत अपना कार्य शुरू करना चाहते हैं। इन युवाओं का आयु वर्ग 20 से 32 वर्ष है।