देहरादून : उत्तराखंड लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार झेलनी पड़ी. सबसे बड़ी हार कांग्रेस के जाने माने चेहरे और गूगल में सबसे अधिक सर्च किए जाने वाले चेहरे हरदा को मिली. किसी को उम्मीद नहीं थी कि वो अजय भट्ट से इतने भारी मतों से हारेंगे क्योंकि उनकी जनता से बातचीत करने का सिलसिला औऱ पार्टी का दौर जारी रहता था.
अकेले ही प्रचार को निकले हरीश-प्रीतम
कहीं न कहीं कांग्रेस में चल रही गुटबाजी ने ही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और उनके प्रत्याशियों को नुकसान पहुंचाया है. इसमे कोई दो राय नहीं है कि भाजपा संगठन एक ऐसा संगठन है जिसमें आपसी तालमेल अच्छा है और चुनाव के समय पदाधिकारी हो या कार्यकर्ता खूब मेहनत करते हैं. साथ ही संगठन में किसी के गलती करने पर उनसे बातचीत करता है लेकिन कांग्रेस में आपसी गुटबाजी इतनी है कि लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान कोई दिग्गज चेहरा कांग्रेस प्रत्याशियों का प्रचार करता न देखा गया न सुना गया बल्कि कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत और प्रीतम सिंह अकेले ही प्रचार के लिए गांव-गांव, शहर-शहर निकले थे. वहीं नेता प्रतिपक्ष भी कहीं नजर नहीं आई.
आंकड़ों को देख समझी जा सकती है कांग्रेस की हार कितनी बड़ी
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में अजय भट्ट ने हरीश रावत को 339096 वोट से हराया. अजय भट्ट को 772195 वोट मिले जबति हरीश रावत को 4,33,099 वोट मिले. अकेले अजय भट्ट को 61.35 प्रतिशत वोट मिले. वहीं माला राजलक्ष्मी शाह ने 300586 वोटों से प्रीतम सिंह को मात दी. माला राजलक्ष्मी शाह को कुल 5,65,333 पड़े थे जबकि प्रीतम सिंह को 2,64747 वोट मिले..
हरीश-इंदिरा, प्रीतम की आपसी गुटबाजी को भाजपा ने भांपा, उठाया फायदा
चाहे ये दिग्गज लाख मना करें लेकिन हरीश-इंदिरा, हरीश-प्रीतम की आपसी गुटबाजी कहीं न कहीं दिख ही जाती है..कांग्रेस की गुटबाजी किसी से छुपी नहीं है. इनके एक दूसरे से बेरुखापन कई बार भीड़ ने और भाजपा ने भी भांपा है और इसी का फायदा भाजपा ने उठाया. कुछ भी कहो राजनैतिक गलियारों में बस यही चर्चा है कि कांग्रेस को आपसी गुटबाजी ही ले डूबी है. इंदिरा नेता प्रतिपक्ष हैं और कांग्रेस का जानामाना चेहरा भी हैं लेकिन कहीं भी उनको हरीश रावत का प्रचार करता नहीं देखा गया वहीं न ही वो प्रीतम के साथ दिखीं और कोई खास चेहरा प्रदेश में कांग्रेस का नहीं था जिसकी बदौलत उन्हें सीट मिलती.
हरदा की बड़ी हार का सामना करना पड़ा जबकि वो हमेशा से लोगों के बीच रहते हैं और प्रीतम सिंह तो खुद विधायक हैं. ऐसे में साफ कहा जा रहा है कि कहीं न कहीं कांग्रेस की गुटबाजी ने ही कांग्रेस प्रत्याशियों को डुबाया है.