हरिद्वार : स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि विसर्जन के बाद भाजपा में खींचतान बढ़ गई. अटली जी की कलश यात्रा के लिए आयोजन स्थल पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। जिससे भाजपा के अंदर ही गुटबाजी शुरु हो गई है. और कई बड़ी हस्तियां एक-दूसरे से नाराज हैं. भले नाराजगी को लेकर नेता बाहर बोलने से परहेज कर रहे हैं लेकिन ये पब्लिक है सब जानती है.
अमित शाह की मेहनत पर पानी फेर रहे मंत्री
उत्तराखंड भाजपा नेताओं की आपसी गुटबाजी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मेहनत पर जरुर पानी फेरने का काम कर रहे हैं. गौर हो कि बीते महीने अमित शाह शांतिकुंज आश्रम गए थे और चुनाव में सहयोग मांगा था.
अटल जी की यात्रा में स्थान चयन को लेकर सब डावाडोल
जी हां इस नाराजगी की शुरुआत तब हुई जब अटल जी की कलश यात्रा की शुरूआत कहां से की जानी है को लेकर और स्थान चयन को लेकर सब डावाडोल रहा. इसको लेकर दो भाजपा दिग्गजों के बीच हुई खींचतान से शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या नाराज हो गए हैं। शांतिकुंज से यात्रा की शुरुआत नहीं होने से आहत पंड्या न तो आयोजन का हिस्सा बने न ही श्रद्धांजलि देने हरकी पैड़ी पर पहुंचे। उन्होंने शांतिकुंज में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया।
सबसे पहले महाराज के प्रेमनगर आश्रम से अस्थि कलश यात्रा निकाले जाने का कार्यक्रम हुआ था तय
अटल जी की अस्थि कलश यात्रा को लेकर दो बार कार्यक्रम बदला गया। इसकी वजहे अभी तक पूरी तरह साफ नहीं हुई हैं कि ऐसा क्यों किया गया लेकिन सूत्रों की माने तो शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के बीच आम सहमति नहीं बनने से यात्रा के बाद भाजपा में खींचतान शुरु हो गई। आपको बता दें सबसे पहले महाराज के प्रेमनगर आश्रम से अस्थि कलश यात्रा निकाले जाने का कार्यक्रम तय हुआ था।
लेकिन अचानक शनिवार को प्रेम नगर आश्रम की जगह शांतिकुंज कर दिया गया
लेकिन अचानक शनिवार को प्रेम नगर आश्रम की जगह शांतिकुंज कर दिया गया था। स्थान बदलने पर खुद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट और अन्य पदाधिकारियों ने सुरक्षा एजेंसियों व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ शांतिकुंज का निरीक्षण किया था। शांतिकुंज प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या के साथ लंबी बैठक करके ये तय किया गया था कि शांतिकुंज से ही अस्थि कलश यात्रा हरकी पैड़ी के लिए चलेगी।
शांतिकुंज को सजाया गया, शांतिकुंज के साधकों और देव संस्कृति विवि के छात्र छात्राओं-शिक्षकों को बुलाया गया
मीडियो रिपोर्ट की मानें तो देर शाम तक यात्रा शुरू करने के लिए व्यवस्थाओं पर काम होता रहा। शांतिकुंज परिवार ने पूरे परिसर और संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य और माता भगतवी देवी शर्मा के समाधि स्थल को भी अच्छी तरह सजाया था। शांतिकुंज के साधकों और देव संस्कृति विवि के छात्र छात्राओं व शिक्षकों को आज होने वाले अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति श्रद्धांजलि समारोह के लिए बुलवा लिया थ।
अचानक बद दिया गया यात्रा का स्थल, डॉ. प्रणव पंड्या नाराज
लेकिन तभी देर रात में भाजपा के एक प्रांतीय अधिकारी ने डॉ. प्रणव पंड्या को फोन करके बताया कि अस्थि कलश यात्रा शांतिकुंज के बजाय भल्ला कालेज स्टेडियम से शुरू होगी। ऐसे में अस्थि कलश यात्रा निकल तो गई लेकिन शांतिकुंज परिवार की भाजपा से नाराजगी साफ दिखाई दी। न तो डॉ. प्रणव पंड्या हरकी पैड़ी पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में पहुंचे और न ही उनका कोई प्रतिनिधि श्रद्धासुमन अर्पित करने आया। बल्कि अपने यहीं आयोजन कर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धासुमन अर्पित किए।
विकास मंत्री मदन कौशिक बनाम प्रेम नगर आश्रम के संस्थापक कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज
अस्थि कलश यात्रा की शुरुआत प्रेम नगर आश्रम से बदलकर शांतिकुंज करने पर दो भाजपा नेताओं ने इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया। चर्चा है यह है कि आयोजन स्थल बदलाव कर शांतिकुंज किये जाने से मामला शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक बनाम प्रेम नगर आश्रम के संस्थापक कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज हो गया। जिससे पूरे संगठन में हड़कंप मच गया.
प्रेम नगर आश्रम की जगह शांतिकुंज किये जाने से सतपाल महाराज नाराज
प्रेम नगर आश्रम की जगह शांतिकुंज किये जाने से सतपाल महाराज की नाराजगी बताई जा रही है।
शांतिकुंज से भल्ला कॉलेज मैदान करने के बाद डा. पंड्या के पास देर रात भाजपा के कई नेता पहुंचे
कलश यात्रा शुरू करने के लिए शांतिकुंज से भल्ला कॉलेज मैदान करने के बाद डा. पंड्या के पास देर रात भाजपा के कई नेता पहुंचे। राष्ट्रीय मंत्री तीरथ सिंह रावत, प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक और उच्च शिक्षा राज्य मंत्री धन सिंह रावत ने डा. पंड्या से बात की। सभी ने अपने अपने तरीके से शांतिकुंज परिवार की नाराजगी दूर करने का प्रयास किया, लेकिन सुबह शांतिकुंज परिवार का आयोजन से दूरी बनाने से साफ है कि पंड्या पूरे प्रकरण से आहत हैं और साथ ही सतपाल महाराज भी.
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