देहरादून: विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए चुनाव आयोग ने 1000 हजार लोगों की रैली की अनुमति दी है। दावा किया गया कि राजनीतिक दलों से इन नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। लेकिन, धरातल पर जो नजारा देखने को मिल रहा है, वो चुनाव आयोग को भाजपा का तमाचा है। सत्ताधारी भाजपा को ना तो कोरोना की परवाह है और ना ही चुनाव आयोग के नियमों की चिंता।
सत्ता के आगे आयोग भी बेबस आ रहा नजर
उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होना है। ऐसे में चुनाव प्रचार पर राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत झोंक दी है। चुनाव आयोग ने इसके लिए नियम बनाए हैं। लेकिन, जिस तरह से भाजपा चुनाव आयोग के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है। उससे एक बात तो साफ है कि सत्ता के आगे आयोग भी बेबस नजर आ रहा है।
भाजपा ने रैली स्थल पर हजारों की भीड़ जुटाई
आपको बता दें कि आज ऱविवार को चम्पावत में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान प्रचार करने पहुंचे थे। रैली में 1000 लोगों के शामिल होने की अनुमति ली गई थी, लेकिन रैली स्थल पर हजारों की भीड़ जुटाई गई। कोरोना की तीसरी लहर जहां कम हो रही है। वहीं, सत्ता को किसी भी कीतम पर हासिल करने में जुटी भाजपा को लोगों की जान की भी परवाह नजर नहीं आ रही है। हजारों की भीड़ में कोरोना का खतरा बढ़ने का सीधा मतलब लोगों की जान को मुश्किल में डालना है।
भाजपाइयों को सत्ता के आगे कुछ नजर नहीं आ रहा
आलम यह है कि भाजपाइयों को सत्ता के आगे कुछ नजर नहीं आ रहा है। भाजपा के कई बड़े नेता इस समय उत्तराखंड में जमकर प्रचार कर रहे हैं। डोर-टू-डोर कैंपेन चलाया जा रहा है और नेताओं के साथ भारी भीड़ भी देखने को मिल रही है, जो कोविड-19 के दौरान खतरनाक हो सकती है। बावजूद, चुनाव आयोग आखें मूंद कर सबकुछ देख रहा है। अब तक किसी तरह की कार्रवाई भी नहीं की गई है।
सत्ताधारी भाजपा पर सत्ता का चढ़ा नशा, चुनाव आयोग के नियमों की नहीं परवाह
सत्ताधारी भाजपा पर सत्ता का नशा इस कदर चढ़ा हुआ है कि चुनाव आयोग के नियमों की भी कोई परवाह नहीं है। खुलेआम चुनाव आयोग के नियमों को ठेंगा दिखाने का काम भाजपा कर रही है। चम्पावत में चुनाव आयोग की गरिमा को तार तार करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की सभा मे हजारों की भीड़ जमा की गई। वहीं, राजधानी देहरादून में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के जनसंपर्क कार्यक्रम के दौरान भी चुनाव आयोग और कोरोना नियमों की धज्जियां उड़ती नजर आई।