देहरादूनः उत्तराखंड में विकास योजनाओं को अमलीजामा पहनाने में जनप्रतिनिधियों से आगे अधिकारी निकल गए हैं। यह हम नहीं शिलापट्ट कह रहे हैं, जिन पर जनप्रतिनिधियों की नाम की जगह अधिकारियों के नाम लिखे गए हैं। अधिकारियों की इसी मनमानी के चलते उत्तराखंड विधानसभा के उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान नाराज बताए जा रहे हैं।
रघुनाथ सिंह चौहान का कहना है कि जिन विकास कार्यों के लोकार्पण कार्यक्रमों में उन्हें मौजूद होना चाहिए, उन विकास कार्यों के लोकार्पण करने के लिए अधिकारी उनको जानकारी भी नहीं दे रहे हैं। यहां तक कि शिलापट पर भी केवल अधिकारियों के नाम ही चस्पा हुए हैं। यह एक परंपरा भी है कि जिन विकास कार्यों का लोकार्पण होगा विकास कार्यों में स्थानीय विधायक की अध्यक्षता में ही कार्यक्रम होगा।
दरअसल अल्मोड़ा में एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के संग्रहण केंद्र का उद्घाटन किया गया। परंपराओं के अनुसार इस मौके पर स्थानीय जन प्रतिनिधि को आमंत्रित किया जाना चाहिए था और शिलापट्ट पर उसका नाम भी होना चाहिए था। लेकिन अधिकारियों ने ऐसा नहीं किया। बल्कि अधिकारियों ने अपने नाम के शिलापट्ट लगवाए और स्थानीय जनप्रतिनिधि को नहीं बुलाया। रघुनाथ सिंह चौहान इलाके के विधायक हैं और राज्य के डिप्टी स्पीकर भी हैं। कार्यक्रम में न बुलाए जाने से नाराज विधानसभा उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह चौहान नाराज हो गए। ये मसला उत्तराखंड विधानसभा में उठाया गया। जिलाधिकारी पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगाया गया।
हालांकि, यह उत्तराखंड में अनोखा मामला सामने आया है, जब सत्ता पक्ष के विधायक को ही अधिकारी लोकार्पण कार्यक्रम में नहीं बुला रहे हैं। विधानसभा उपाध्यक्ष इस मामले को लेकर खासे नाराज बताए जा रहे हैं। जिस तरीके से उन्होंने विशेषाधिकार हनन का मामला भी सदन में उठाया है। उससे साफ है कि अधिकारियों की कार्यप्रणाली से विधानसभा उपाध्यक्ष भी परेशान हो गए हैं।