देहरादून : वर्दी हर किसी को नहीं मिलती लेकिन जिसके बदन में होती है उसकी राज्य के लिए औऱ देश के लिए जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है. अगर बात करे पुलिस की तो उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस कहते हैं. और कहें भी क्यों न उत्तराखंड में कई ऐसे अधिकारी और कर्मचारी हैं जिन्होने ड्यूटी को तो पूरी ईमानदारी से किया ही साथ ही ड्यूटी से कुछ समय निकाल कर गरीब-बुजुर्गों के साथ गरीब बच्चों की शिक्षा का जिम्म उठाया. आज हम बात कर रहे हैं चंपावत जिले में तैनात महिला पुलिस कांस्टेबल की.
उत्तराखंड पुलिस की महिला कांस्टेबल सविता कोहली
जी हां उत्तराखंड के चम्पावत जिले में उत्तराखंड पुलिस की महिला कांस्टेबल सविता कोहली अपनी व्यस्त ड्यूटी से वक्त निकालकर अपने खर्च पर बच्चों को शिक्षा दे रही है। इतना ही नहीं स्कूल तक नहीं पहुंचने वाले बच्चों को वो निःशुल्क पढ़ा भी रही हैं।
सविता कोहली बनबसा थाने में कांस्टेबल के पद पर तैनात
आपको बता दें कि सीमांत बनबसा के नगर पंचायत परिसर के खुले आसमान के नीचे बच्चों को पढ़ा रही सविता कोहली बनबसा थाने में कांस्टेबल के पद पर तैनात हैं। सविता ने अपनी मेहनत और लगन से कूड़ा चुनने वाले इन बच्चों की तकदीर बदल दी है। अब इन बच्चों के हाथ में कूड़े की थैली की जगह कॉपी-किताबों ने ले ली है। सविता की यह मुहिम मिना बाजार में बसे झुग्गी झोपड़ी के बच्चों तक पहुंची, तो कारवां बढ़ता चला गया। अब 30 से ज्यादा बच्चे किताबी अक्षर ज्ञान से रूबरू हो रहे हैं। सविता कोहली की इस पहल की स्थानीय लोग भी प्रशंसा करते नहीं थक रहे हैं।
ऐसे कई कर्मचारी औऱ अधिकारी है जिन्होने ड्यूटी से अलग समय निकालकर ऐसे काम किए की डिपार्टमेंट सहित जनता उनको दुहाई दे रही है. बात करें पौड़ी पुलिस की तो बुजुर्गों के लिए वो जो काम कर रही है वो काबिले तारिफ है. ऐसे वर्दी धारी ने ही उत्तराखंड पुलिस को मित्र पुलिस का नाम दिलवाया.